दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश विधूड़ी के बसपा सांसद दानिश अली पर दिए बयान से भाजपा को कोई दिक्कत नहीं दिख रही है। लोकसभा स्पीकर ने तो चेतावनी देकर अपना कर्तव्य पूरा कर दिया है। पार्टी ने भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें 15 दिन में जवाब मांगा गया है। पार्टी निश्चित रूप से उनके जवाब से संतुष्ट होगी और चेतावनी देकर छोड़ देगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा के नेता खुल कर उनके बचाव में उतर गए हैं। भाजपा के समर्थक सोशल मीडिया में माहौल बनाए हुए हैं कि विधूड़ी ने कोई गलती नहीं की है। सैकड़ों लोगों ने व्हाट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी डीपी में रमेश विधूड़ी की फोटो लगाई है। भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने स्पीकर को चिट्ठी लिख कर उलटे दानिश अली पर कार्रवाई करने की मांग की है।
निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि दानिश अली ने प्रधानमंत्री के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया। कथित तौर पर उन्होंने कहा कि ‘नीच व्यक्ति को नीच नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे’। इसके अलावा दुबे ने यह भी कहा कि दानिश अली भाषण के बीच में बार बार विधूड़ी को टोक रहे थे, जो नियम के खिलाफ था। उनसे भी पहले डॉक्टर हर्षवर्धन ने अपनी सफाई के क्रम में ही कह दिया था कि दो लोग एक दूसरे को अपशब्द बोल रहे थे। यानी दानिश अली भी अपशब्द कह रहे थे। आरएसएस की साप्तहिक पत्रिका ‘पांचजन्य’ के ट्विटर हैंडल से विधूड़ी की तारीफ की गई है। उनकी पृष्ठभूमि बताते हुए कहा गया है कि वे और उनका परिवार कितना त्यागी है, जिन्होंने अपनी जमीनें स्कूल, अस्पताल आदि के लिए दान की हैं।
सो, भाजपा और संघ खुल कर बचाव में है। रमेश विधूड़ी हिंदू हीरो हैं लेकिन उसके साथ ही वे जातीय हीरो भी हैं। उनको वीर गुर्जर बताया जा रहा है। इसका कुछ न कुछ असर राजस्थान में होगा। रमेश विधूड़ी सोशल मीडिया में जिस तरह से मुस्लिम विरोध का चेहरा बने हैं और उनकी गुर्जर पहचान को जैसे उजागर किया जा रहा है वह अनायास नहीं है। दिल्ली, एनसीआर से लगते राजस्थान के बड़े इलाके में गुर्जर आबादी है, जिनके नेता सचिन पायलट हैं। लेकिन अब विधूड़ी भी एक चेहरा बने हैं। ताजा घटना मुस्लिम और गुर्जर को एक साथ वोट करने से रोके सकती है।