पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया की खबरों का फैक्ट चेक करने का चलन बढ़ा है। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने फैक्ट चेक करने वाली कंपनियों की सेवाएं ली हैं। अनेक स्वतंत्र फैक्ट चेकर अपना काम कर रहे हैं। मीडिया समूहों ने भी फैक्ट चेक का काम शुरू किया है। अब तक यह काम सोशल मीडिया में वायरल होने वाली खबरों और वीडियो के मामले में किया जाता था। लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का फैक्ट चेक किया जाने लगा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के प्रधानमंत्री संसद में भाषण देते हैं या किसी सरकारी कार्यक्रम में बोलते हैं तो उसका फैक्ट चेक किया जाता है। कई बार लोगों ने गलतियां पकड़ी हैं और कई बार यह पता चला है कि प्रधानमंत्री ने आधा सच बताया।
जैसे लोकसभा में प्रधानमंत्री ने मिजोरम में आईआईएमसी खोले जाने का दावा किया, जबकि वहां आईआईएमसी की स्थापना मोदी के प्रधानमंत्री बनने से तीन साल पहले यानी 2011 में हो गई थी। इसी तरह प्रधानमंत्री ने बिहार के दरभंगा में एम्स बनाने का दावा किया, जबकि वहां अभी तक एम्स की नींव भी नहीं पड़ी है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उसने जमीन दे दी है लेकिन केंद्र सरकार के अड़ंगा लगाने की वजह से एम्स नहीं बन रहा है। जब विवाद बढ़ा तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि राज्य सरकार ने जमीन में देरी की और बाद में जगह बदल दी। बहरहाल, कारण चाहे जो रहा है लेकिन हकीकत है कि अभी एम्स नहीं बना है लेकिन प्रधानमंत्री ने एम्स बनाने का दावा कर दिया।
इसी तरह 1966 में मिजोरम पर हमला कराने की बात प्रधानमंत्री ने कही। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने मिजोरम के लोगों पर बम गिरवाए थे। हकीकत यह है कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के चंद दिनों के बाद ही मिजो विद्रोहियों ने सरकार पर कब्जा कर लिया था और अपने को भारत से अलग स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था। उस समय पूर्वी कमान के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मानिक शॉ थे और वे जो इलाके का हवाई दौरा करने गए तो उनके हेलीकॉप्टर पर भी फायरिंग हुई थी, जिसके बाद सेना की मदद से विद्रोह को कुचलने और मिजोरम को वापस हासिल करने का अभियान चला था।