केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को और चिढ़ा दिया है। नीतीश पहले से खार खाए हुए थे कि उनको विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का संयोजक नहीं बनाया गया है। ऊपर से अमित शाह बिहार में रैली करने गए तो उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं प्रधानमंत्री कैसे बनेंगे, जब विपक्षी गठबंधन ने उनको संयोजक ही नहीं बनाया। असल में अमित शाह के भाषण से पहले नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम में कांग्रेस पर बड़ा हमला किया था। उन्होंने कहा था कि सबने मिल कर विपक्षी गठबंधन बनाया था लेकिन अब इसमें कोई काम नहीं हो रहा है क्योंकि कांग्रेस पार्टी को समय नहीं है। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव को प्राथमिकता दे रही है इसलिए विपक्षी गठबंधन का काम आगे नहीं बढ़ रहा है।
इस बयान के बाद लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव दोनों उनसे मिलने उनके आवास पर गए और उसके अगले दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी उनसे फोन पर बात की। खड़गे ने उनको भरोसा दिलाया कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद विपक्षी गठबंधन का काम तय कार्यक्रम के हिसाब से आगे बढ़ेगा। लेकिन नीतीश को विपक्षी गठबंधन का काम आगे बढ़ने की उतनी चिंता नहीं है, जितनी इस बात को लेकर है कि गठबंधन में उनकी क्या स्थिति होगी। उनकी पार्टी मान रही थी कि जून में पटना में हुई पहली बैठक में ही नीतीश को इसका संयोजक बना दिया जाएगा। लेकिन तीन बैठकें हो गईं और संयोजक का फैसला नहीं हुआ। उलटे 13 सदस्यों की एक समन्वय समिति बनी तो उसमें शरद पवार सदस्य बन गए, जो विपक्षी गठबंधन के सबसे वरिष्ठ नेता हैं। अब उनके ऊपर किसको समन्वयक बनाया जा सकता है? हालांकि अब भी नीतीश की पार्टी उनको संयोजक का पद मिलने की उम्मीद लगाए हुए है। नीतीश की बेचैनी भी इसी वजह से है क्योंकि वहां फैसला होने के बाद ही वे आगे की राजनीतिक दिशा तय करेंगे।