भारतीय जनता पार्टी ने भले झारखंड में गैर आदिवासी राजनीति की अपनी करीब 10 साल पुरानी रणनीति बदल दी है लेकिन हरियाणा में वह गैर जाट राजनीति नहीं छोड़ने जा रही है। उलटे भाजपा गैर जाट राजनीति को और मजबूत करने के उपाय कर रही है। इस उपाय के तहत ही जाट नेता ओमप्रकाश धनखड़ को हटा कर उनकी जगह पिछड़ी जाति के नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। वे कुरूक्षेत्र सीट से लोकसभा के सांसद हैं। ध्यान रहे भाजपा ने 2014 में चुनाव जीतने के बाद जाट की बजाय पंजाबी नेता मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया था। वे लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। अगले साल के चुनाव से पहले भाजपा पंजाबी, पिछड़ा, दलित और ब्राह्मण वोट यानी गैर जाट वोट पर फोकस किए रहेगी।
असल में हरियाणा में कांग्रेस की पूरी राजनीति जाट वोट के ईर्द-गिर्द घूम रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा को पार्टी ने लगभग पूरी कमान दे रखी है। उनके अलावा भी जो नेता हैं उनमें सबसे महत्वपूर्ण रणदीप सुरजेवाला हैं और वे भी जाट समुदाय के हैं। कुमारी शैलजा जरूर दलित हैं लेकिन सुरजेवाला की तरह वे भी प्रदेश से बाहर की राजनीति कर रही हैं। हुड्डा ने अपनी पसंद से उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनवाया है, जो दलित समुदाय के हैं। लेकिन जाट और दलित का समीकरण कितना काम करेगा यह नहीं कहा जा सकता है। दूसरी ओर भाजपा ने अपनी पार्टी के सभी जाट नेताओं को किनारे कर दिया है। कैप्टेन अभिमन्यु कहां हैं और क्या कर रहे हैं, यह किसी को पता नहीं है और चौधरी बीरेंद्र सिंह व उनके बेटे बृजेंद्र सिंह का भविष्य भी मुश्किल में दिख रहा है।
जब से भाजपा ने कांग्रेस के नेता कुलदीप बिश्नोई को अपनी पार्टी में शामिल कराया है तब से बीरेंद्र सिंह परेशान हैं। कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई आदमपुर सीट से भाजपा के विधायक हो गए हैं और कहा जा रहा है कि हिसार लोकसभा सीट पार्टी ने कुलदीप को देने का वादा किया है। पूर्व आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह वहां से ही सांसद हैं। भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला हिसार से ही लोकसभा का चुनाव लड़े थे। उनकी विधानसभा सीट उचानाकलां है, जहां से बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता विधायक होती थीं। बहरहाल, भाजपा जल्दी ही दुष्यंत चौटाला से भी पीछा छुड़ाएगी। उनको अकेले लड़ने को कहा जाएगा ताकि वे कांग्रेस और हुड्डा को नुकसान पहुंचा सकें। भाजपा की राजनीति में खट्टर पंजाबी, कुलदीप, सैनी और रामबिलास शर्मा चार बड़े वोट बैंक यानी पंजाबी, बिश्नोई, पिछड़ा और ब्राह्मण वोट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।