महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों के बाद इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम को लेकर अनेक कहानियां चर्चा में हैं। हरियाणा के नतीजों के बाद भी ईवीएम की ढेर सारी कहानियां सुनने को मिली थी। लेकिन महाराष्ट्र के बाद इनकी संख्या बढ़ गई है। इनमें से कुछ कहानियां तो सच्ची हैं लेकिन ढेर सारी कहानियों की सत्यता प्रमाणित नहीं है। नेता गड़बड़ी के दावे कर रहे हैं, सबूत पेश कर रहे हैं और यहां तक कि वीडियो भी वायरल हो रहे हैं लेकिन इनकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है। मिसाल के तौर पर महाराष्ट्र के एक गांव के लोगों के प्रदर्शन करने की वीडियो वायरल हुई, जिसमें वे कह रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया लेकिन उस गांव के बूथ पर कांग्रेस को जीरो वोट मिले हैं। सो, गांव वाले पूछ रहे हैं कि उनका वोट कहां चला गया।
एक वीडियो राज ठाकरे की पार्टी मनसे के उम्मीदवार का है, जिसका कहना है कि उसके घर के इलाके के बूथ पर उसके सिर्फ दो वोट मिले हैं, जबकि वह खुद अपनी पत्नी, बेटी और मां के साथ वोट करने गए थे। उनका कहना है कि अगर बाहरी कोई भी वोट नहीं करता तब भी कम से कम चार वोट तो होने चाहिए थे।
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इसी तरह यह कहानी है कि जिन मतदान केंद्रों की EVM controversy की बैटरी 90 फीसदी से ज्यादा चार्ज थी वहां 80 फीसदी से ज्यादा वोट भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों को गए और जहां बैटरी कम चार्ज थी वहां विपक्षी पार्टियां जीतीं। इस तरह की अनेक कहानियां हैं। कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां अगर EVM controversy के खिलाफ अभियान को लेकर गंभीर हैं तो उनको इन कहानियों का संग्रह करना चाहिए और इनकी जांच करा कर कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक इनका इस्तेमाल करना चाहिए।
एक सच्ची और प्रमाणिक कहानी यह है कि मतदान के बाद चुनाव आयोग ने जो प्रोविजनल डाटा जारी किया उसके मुताबिक 58 फीसदी मतदान हुआ था। इसके बाद दूसरा आंकड़ा 65 फीसदी से कुछ ज्यादा वोटिंग का आया और रात 11 बजे के बाद आंकड़ा आया कि 66.05 फीसदी मतदान हुआ है। अब सवाल है कि मतदान खत्म होने के बाद आठ फीसदी वोट कैसे बढ़े? आठ फीसदी का मतलब है कि करीब 50 लाख लोग लाइन में थे, जिन्होंने छह बजे के बाद वोट किया! पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने भी इस बढ़ोतरी को असामान्य बताया है। दो से तीन फीसदी की बढ़ोतरी सामान्य होती है लेकिन आठ फीसदी की बढ़ोतरी हैरान करने वाली है।