आमतौर पर सरकारें अच्छे कामों या अच्छी यादों की जयंती मनाती है। लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बुरी यादों की भी जयंती मनाने का चलन शुरू कर चुकी है, जिसे और बढ़ाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस मनाना शुरू किया है। सोचें, विभीषिका दिवस कौन मनाता है? सबको पता है कि विभाजन में कितनी हिंसा हुई थी, कितने परिवार उजड़े थे और कितने लोग मारे गए थे। वह इस देश की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है। लेकिन उसको भुलाने की बजाय याद करने का क्या मतलब है? क्या आने वाले दिनों में कोई सरकार कोरोना महामारी की याद में कोई दिवस मनाने लगे या कोरोना के समय मजदूरों के पलायन की याद में कोई दिवस मनाए तो कैसा लगेगा?
ध्यान रहे कोरोना के समय दिल्ली और दूसरे दूसरे शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन विभाजन के बाद की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी थी। बहरहाल, अब मोदी सरकार भारत में इमरजेंसी लगाए जाने के 50 साल पूरे होने पर एक नया दिवस मनाने जा रही है। वैसे इमरजेंसी लगाए जाने के खिलाफ हर साल 25 और 26 जून को कई कार्यक्रम होते हैं। लेकिन सरकार ने अगले साल इसके 50 साल पूरे होने पर लोकतंत्र की हत्या का प्रयास दिवस मनाने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि गुरुवार, 17 अक्टूबर को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की शपथ के बाद चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा और एनडीए की अन्य सहयोगी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में इस दिवस के बारे में विचार किया है। अगले साल इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा।