लोकसभा का चुनाव खत्म होते ही महंगाई की मार शुरू हो गई है। नतीजे का भी इंतजार नहीं हुआ और वस्तुओं व सेवाओं की कीमतें बढ़ने लगीं। लोकसभा चुनाव समाप्त होने और एक्जिट पोल के नतीजे आने के अगले ही दिन देश भर में टोल टैक्स बढ़ाने का ऐलान हो गया। बताया जा रहा है कि चुनाव की वजह से सालाना बढ़ोतरी रोक दी गई थी। लेकिन सवाल है कि जब चुनाव के बीच वस्तुओं की कीमत घटाने पर कोई रोक नहीं थी तो कीमत बढ़ान पर क्यों रोक लगाई गई थी? धयान रहे ठीक एक जून को, जिस दिन आखिरी चरण की 57 सीटों पर मतदान होना था उसी दिन कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत में 73 रुपए की कमी की गई थी।
बहरहाल, एक जून को मतदान खत्म हुआ और दो जून को टोल टैक्स में तीन से पांच फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई। इसका मतलब है कि देश के 11 सौ से ज्यादा टोल प्लाजा पर पांच से लेकर 25 रुपए तक की बढ़ोतरी हो गई है। कहने की जरुरत नहीं है कि टोल वसूलने वाली निजी कंपनियों को इसका सबसे बड़ा फायदा होगा और सरकार का जीएसटी राजस्व बढ़ेगा। दो जून को जिस दिन टोल टैक्स में बढ़ोतरी हुई उसी दिन अमूल दूध की कीमतों में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो गई। अब उसके पीछ पीछे बाकी सारी दूध कंपनियों के दूध की कीमतें बढ़ेंगी। इसके बाद हो सकता है कि पेट्रोल, डीजल की कीमतें भी बढ़ें और घरेलू रसोई गैस की कीमतों में जो कटौती हुई थी वह वापस बहाल हो।