बहुजन समाज पार्टी के अंदर विभाजन बढ़ रहा है। पार्टी सुप्रीमो मायावती के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणाओं से पार्टी के सांसद बहुत निराश हैं। बसपा के कई सांसद चाहते हैं कि पार्टी को तालमेल करना चाहिए। सबसे दिलचस्प बात यह है कि वे किसी एक पार्टी का नाम नहीं ले रहे हैं, जिसके साथ तालमेल होना चाहिए। वे सिर्फ यह चाहते हैं कि पार्टी अकेले न लड़े। उनको इससे भी कोई दिक्कत नहीं है कि सपा और कांग्रेस वाले गठबंधन ‘इंडिया’ से तालमेल हो जाए या कुछ सीट लेकर भारतीय जनता पार्टी से ही तालमेल हो जाए। बसपा के सांसदों को सिर्फ अपनी सीट की चिंता है और इसके लिए वे किसी भी गठबंधन के साथ तालमेल करने के पक्ष में हैं। उनको पता है कि अगर तालमेल नहीं हुआ तो लोकसभा चुनाव में भी बसपा की वही स्थिति होगी, जो विधानसभा चुनाव में हुई है। विधानसभा में तो पार्टी को एक सीट मिल गई लेकिन हो सकता है कि लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिले।
अंबेडकरनगर के बसपा सांसद रितेश पांडे के बाद अब जौनपुर के सांसद श्याम नारायण यादव को लेकर सवाल उठ रहे हैं। रितेश पांडे समाजवादी पार्टी के संपर्क में हैं। उनके पिता राकेश पांडे सपा की टिकट पर विधायक बन गए हैं और उसके बादही मायावती ने रितेश पांडे को संसदीय दल के नेता पद से हटाया। अब श्याम नारायण यादव ने भी कहा है कि पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव में तालमेल करके लड़ना चाहिए। हालांकि अभी तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। लेकिन अमरोहा के सांसद दानिश अली के खिलाफ कार्रवाई हो गई है। भाजपा का अति विरोध उनको भारी पड़ा। बसपा ने उनको पार्टी से निकाल दिया है। सो, 10 में से तीन सांसद ने कमोबेश स्थिति स्पष्ट कर दी है। बाकी सांसद भी चिंता में हैं। उनको लग रहा है कि बसपा के पास अब बहुत सीमित वोट आधार बचा है, जिसकी मदद से वे किसी दूसरी पार्टी या गठबंधन को तो फायदा पहुंचा सकती है लेकिन खुद चुनाव नहीं जीत सकती है। इसलिए बसपा के सांसद तालमेल के लिए दबाव बना रहे हैं। बताया जा रहा है कि मायावती इस बारे में पार्टी के नेताओं से राय मशविरा कर रही हैं और सभी पार्टियों के साथ बातचीत का चैनल खुला हुआ है। वे 15 जनवरी को अपने जन्मदिन के मौके पर कोई बड़ी घोषणा कर सकती हैं।