तमिलनाडु में किसी भी दूसरे राज्य के मुकाबले ज्यादा ऐसी पार्टियां हैं, जिनका कुछ न कुछ आधार है और जिनके सांसद, विधायक जीतते रहते हैं। डीएमके और अन्ना डीएमके के अलावा जातीय और क्षेत्र के आधार पर कई पार्टियां बनी हैं। डीएमडीके, एमडीएमके, पीएमके, वीसीके, एमएनएम, एएमएमके ये सारी क्षेत्रीय पार्टियां हैं। इनके अलावा दोनों कम्युनिस्ट पार्टियां हैं और भाजपा व कांग्रेस तो है हीं। पिछले कुछ दिनों से गठबंधन बनाने की जो मुहिम चल रही है उसमें ज्यादातर पार्टियों ने जगह ले ली है। सारी पार्टियां भाजपा या कांग्रेस के गठबंधन का हिस्सा बन गई हैं। लेकिन दो पार्टियां ऐसी हैं, जिन्होंने तय नहीं किया है कि वे एनडीए में जाएंगी या ‘इंडिया’ में।
दोनों गठबंधनों की तरह से इनसे अभी संपर्क भी नहीं किया गया है। इनमें से एक पार्टी टीटीवी दिनाकरण की एएमएमके है और दूसरी कमल हसन की एमएनएम है। जयललिता की सहेली रहीं वीके शशिकला और दिनाकरण रिश्तेदार हैं। शशिकला की शह पर ही दिनाकरण ने पार्टी बनाई थी और यही कारण है कि अन्ना डीएमके के दोनों नेता यानी ई पलानीस्वामी और ओ पनीरसेल्वम दोनों ने उनसे दूरी बनाई है। इस वजह से भाजपा भी एप्रोच नहीं कर रही है। दूसरी ओर कमल हसन की पार्टी का कांग्रेस के साथ संबंध अच्छा है लेकिन एमके स्टालिन की मर्ज के बगैर कांग्रेस उनसे एप्रोच नहीं कर सकती है। सो, दोनों का मामला अटका है। इसके बावजूद माना जा रहा है कि दोनों पार्टियां लोकसभा की छह सीटों पर किसी भी गठबंधन का समीकरण खराब कर सकती हैं। सो, संभव है कि आने वाले दिनों में दोनों गठबंधनों की ओर से इनसे भी संपर्क किया जाए।