भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) के चुनाव में बड़ा जोखिम लिया है। उसने तीन राज्यों में अतिरिक्त उम्मीदवार देकर चुनाव की नौबत ला दी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों के आंकड़ों के मुताबिक खाली हो रही 10 सीटों में से भाजपा को सात और समाजवादी पार्टी (SP) को तीन सीटें मिलने वाली थीं लेकिन भाजपा ने आठवां उम्मीदवार उतार दिया। इसी तरह कर्नाटक में चार सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से कांग्रेस (Congress) को तीन और भाजपा (BJP) को एक सीट मिलेगी लेकिन भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीएस ने एक उम्मीदवार उतार दिया, जिससे चुनाव की नौबत आ गई है। ऐसे ही हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी के मुकाबले अपना उम्मीदवार उतार दिया है। जीतने के लिए 40 वोट की जरुरत है, जो कांग्रेस के पास है, जबकि भाजपा (BJP) के पास सिर्फ 25 वोट हैं। फिर भी उसने हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया है।
विपक्ष का गठबंधन क्या काम आएगा
लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले अगर वह इन तीनों राज्यों में हार जाती है तो क्या होगा? हालांकि इससे राज्यसभा की गणित पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन तीनों राज्यों में विपक्षी गठबंधन को ताकत मिलेगी और भाजपा व उसकी सहयोगी पार्टियों का मनोबल गिरेगा। कर्नाटक में एक सीट जीतने के लिए 45 वोट की जरुरत है। भाजपा (BJP) और जेडीएस (JDS) के पास 85 विधायक हैं। यानी उन्हें पांच अतिरिक्त वोट का इंतजाम करना होगा। सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास तीन सीटें जीतने के लिए जरूरी 135 की संख्या है। सरकार होने से वह बेहतर प्रबंधन करने में सक्षम है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश में एक सीट के लिए 37 वोट की जरुरत है और सात सीट जीतने के बाद भाजपा के पास 27 वोट अतिरिक्त बचते हैं। यानी उसे 10 वोट का इंतजाम करना होगा। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी (SP) के पास 108 विधायक हैं। यानी तीन सीट के लिए उसे सिर्फ तीन वोट की जरुरत होगी। कांग्रेस के साथ आने से दो वोट उसको मिल जाएंगे और सपा की बातचीत राजा भैया से हो रही है। अगर वे गठबंधन में शामिल होते हैं तो दो वोट उनका होगा। यानी सपा अपनी तीन सीटें जीतने की स्थिति में है। सोचें, अगर तीनों राज्यों में भाजपा चुनाव हारती है तो क्या होगा?