यह लाख टके का सवाल है, जिसका जवाब कांग्रेस के नेताओं के पास भी नहीं है। सारे नेता अपने अपने हिसाब से जवाब बता रहे हैं। हकीकत यह है कि राहुल गांधी डेढ़ महीने से ज्यादा समय से राजस्थान नहीं गए हैं। आखिरी बार वे 23 सितंबर को राजस्थान गए थे। चुनाव आयोग ने नौ अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की घोषणा की थी। उसके बाद से राहुल गांधी राजस्थान नहीं गए। हालांकि दिल्ली में वे टिकट बंटवारे के लिए हुई बैठकों में शामिल हुए और आलाकमान को चुनौती देने वाले कई विधायकों की टिकट कटवा दी लेकिन प्रचार के लिए राजस्थान नहीं गए। पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की राजस्थान में रैली हुई और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी रैली की है लेकिन राहुल चुनाव प्रक्रिया से दूर हैं। कहा जा रहा है कि दिवाली के बाद वे राजस्थान में प्रचार में उतरेंगे।
चुनाव वाले राज्यों में राहुल ने तेलंगाना में छह दिन तक प्रचार किया है। पहले तीन दिन वे चुनाव प्रचार के लिए गए थे और बाद प्रियंका गांधी वाड्रा की तबियत खराब हुई तो उनके तय कार्यक्रमों में भी राहुल गए। उन्होंने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी रैली की है। इस दौरान वे दो दिन के लिए अमृतसर जाकर रहे और स्वर्ण मंदिर में सेवा की। वे तीन दिन तक केदारनाथ में रहे। लेकिन राजस्थान जाने का समय नहीं निकाल पाए। इसका क्या कारण हो सकता है? क्या इसका कारण यह है कि वे पार्टी के नेताओं से नाराज हैं? गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद से वे काफी नाराज थे। इसके अलावा पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव पर गहलोत की प्रतिक्रिया और उसके बाद हुए विवाद की वजह से भी राहुल नाराज हैं। यह भी ध्यान रखने की बात कि उन्होंने चुनावी राज्यों के बारे में भविष्यवाणी करते हुए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीतने की भविष्यवाणी की लेकिन राजस्थान के में कांटे की टक्कर बताई। तभी सवाल है कि क्या राजस्थान में कथित कांटे की टक्कर में उनको अपनी पार्टी जीतती नहीं दिख रही है इसलिए वे दूरी बनाए हुए हैं? जो हो दिवाली के बाद प्रचार के बचे हुए 10 दिनों में वे कितनी रैली करते हैं यह देखने वाली बात होगी।