कांग्रेस में इस बात को लेकर दुविधा है कि राहुल गांधी एक और यात्रा पर निकलें या लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाएं और उस पर अमल कराएं। ध्यान रहे राहुल की दक्षिण से उत्तर की पहली यात्रा पूरी हुई थी उसके बाद कहा गया था कि वे पूरब से पश्चिम की यात्रा पर निकलेंगे। असम या अरुणाचल प्रदेश से शुरू करके गुजरात तक की यात्रा की एक रूप-रेखा बनी थी। जानकार सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि अक्टूबर में यह यात्रा शुरू हो सकती है। हालांकि अभी तक इस यात्रा को लेकर ठोस जानकारी नहीं है।
इस बीच कांग्रेस की ओर से ऐसा संकेत दिया जा रहा है कि शायद यात्रा न हो क्योंकि कांग्रेस राहुल के अलग अलग समूहों से मुलाकात को भारत जोड़ा यात्रा का ही विस्तार बता रही है। पिछले दिनों राहुल गांधी दिल्ली की आजादपुर सब्जी मंडी में गए थे, जहां उन्होंने आढ़तियों, मजदूरों, किसानों, कारोबारियों से मुलाकात की। इसे लेकर कांग्रेस ने ट्विट किया तो उसमें लिखा कि भारत जोड़ो यात्रा जारी है। इससे पहले राहुल गांधी हरियाणा के किसानों से मिले थे। दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में छात्रों से मिले थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी में जाकर भी छात्रों से मुलाकात की थी। एक दिन वे गैराज में चले गए थे, जहां मोटर मैकेनिकों से मुलाकात की। उससे पहले वे ट्रक में बैठ कर अंबाला से चंडीगढ़ गए थे और ट्रक ड्राइवरों से बात की थी। ये सब काम उन्होंने यात्रा के बाद किए हैं। कांग्रेस ने इन्हें भारत जोड़ो यात्रा बता रही है।
इसके बावजूद कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेताओं का एक समूह चाहता है कि राहुल यात्रा पर निकलें। पहली यात्रा से कांग्रेस को चुनावी फायदा हुआ है और सबसे बड़ा फायदा राहुल गांधी की छवि बदलने में हुआ है। अब उनको अहंकारी कहा जा रहा है, चीन का एजेंट कह कर हमला किया जा रहा है, परिवारवादी बताया जा रहा है लेकिन पप्पू नहीं कहा जा रहा है। सोशल मीडिया में भी राहुल को पप्पू कहने का चलन अब लगभग बंद हो गया है। यह यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि आम लोग राहुल को गंभीरता से लेने लगे हैं। सो, दूसरी यात्रा से उनकी छवि और मजबूत होने की बात कही जा रही है और साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि जब यात्रा खत्म होगी तब लोकसभा चुनाव की घोषणा होने वाली होगी। उसमें कांग्रेस को इस यात्रा से बड़ा फायदा हो सकता है।
दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं के एक समूह ऐसा है, जो चाहता कि राहुल अब यात्रा पर न निकलें क्योंकि पहली यात्रा से ही इसका मकसद पूरा हो गया है। उनका कहना है कि नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें से तीन बड़े राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना से राहुल अपनी पहली यात्रा में गुजरे हैं और वहां उनके चुनाव प्रचार में जाने का कांग्रेस को फायदा होगा। अगर वे अक्टूबर में यात्रा पर निकलेंगे तो ये तीनों राज्य छूट जाएंगे। इसी तरह उनको लोकसभा चुनाव की रणनीति बनने और विपक्षी गठबंधन की पार्टियों के साथ तालमेल की बात करने के लिए भी उपलब्ध रहना होगा। कुछ चुनिंदा राज्यों की यात्रा पर निकलने की बजाय लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिहाज से सभी राज्यों का दौरा करना चाहिए।