उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से एक सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा अमेठी और रायबरेली सीट की हुई है। दोनों सीटों पर मतदान हो गया है। कांग्रेस ने अमेठी सीट से परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को चुनाव लड़ाया है। इसलिए वहां जो होगा उसका असर परिवार की राजनीति पर नहीं होना है। लेकिन रायबरेली सीट से राहुल गांधी खुद लड़े हैं। लगातार 15 साल अमेठी से सांसद रहने के बाद राहुल 2019 का चुनाव हार गए थे।
अब उस सीट को छोड़ कर वे अपनी मां सोनिया गांधी की सीट से चुनाव लड़े हैं। इस सीट से उनकी दादी भी सांसद रही हैं और उनके दादा भी सांसद रहे हैं। इस बार के चुनाव में एक खास बात यह भी देखने को मिली को राहुल गांधी मतदान के दिन यानी 20 मई को रायबरेली में घूम रहे थे। पिछली बार जब वे अमेठी से लड़े थे तब मतदान के दिन वहां नहीं गए थे। लेकिन इस बार रायबरेली में वे बूथों पर जा रहे थे। तभी यह सवाल उठ रहा है कि क्या अगर वे चुनाव जीतते हैं तो यह सीट ही अपने पास रखेंगे या केरल की वायनाड सीट अपने पास रखेंगे, जहां से वे 2019 में जीते थे और इस बार भी लड़े हैं?
यह चर्चा इसलिए है क्योंकि प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार जब अमेठी और रायबरेली का चुनाव लड़ा रही थीं तो रायबरेली उन्होंने इस अंदाज में लड़ा, जैसे वे अपने लिए लड़ रही हों। उन्होंने पूरे क्षेत्र में लोगों के साथ निजी संबंध जोड़े। वे पहले भी इस सीट का चुनाव संभाल चुकी हैं लेकिन इस बार जिस तरह उन्होंने क्षेत्र के लोगों से दादी, अम्मा, चाची का संबंध जोड़ा वह कुछ अलग कहानी बयां करता है। तभी एक चर्चा यह भी है कि अगर राहुल दोनों सीटों से जीतते हैं ते वो रायबरेली की सीट छोड़ देंगे और वायनाड से सांसद रहेंगे।
इसका कारण यह बताया जा रहा है कि केरल में 2026 में विधानसभा का चुनाव है और लगातार दो बार हारने के बाद इस बार कांग्रेस के लिए अनुकूल स्थितियां हैं। यह इतिहास भी याद दिलाया जा रहा है कि 1980 में इंदिरा गांधी रायबरेल और आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से जीती थीं तब उन्होंने रायबरेली से इस्तीफा दे दिया था। उनकी खाली की हुई सीट पर उपचुनाव में अरुण नेहरू लड़े थे। उसी तरह से इस बार राहुल भी दक्षिण की सीट रखेंगे और रायबरेली से प्रियंका लड़ेंगी।