भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह की पार्टी का इस उम्मीद में विलय कराया था कि वे पंजाब में भाजपा का चुनाव अभियान संभालेंगे। ध्यान रहे विधानसभा चुनाव में 2022 में कैप्टेन अकेले लड़े थे और भाजपा को कुछ खास फायदा नहीं पहुंचा पाए थे। हां, उन्होंने कांग्रेस के बुरी तरह से हारने में जरूर भूमिका निभाई थी। लेकिन उसके बाद भाजपा उनकी पार्टी का विलय कराया और उनके हिसाब से पंजाब की अपनी टीम बनाई। चुनाव से ऐन पहले कैप्टेन की पत्नी परनीत कौर भी भाजपा में शामिल हुईं और पटियाला सीट से उम्मीदवार बनीं। लेकिन अचानक कैप्टेन अमरिंदर सिंह की तबियत खराब हो गई और वे अस्पताल में भर्ती हो गए।
खुद परनीत कौर ने बताया कि कैप्टेन अस्पताल में हैं और बेटे रणइंदर उनकी देखरेख में हैं। बेटी के ससुराल वालों के यहां भी कुछ पारिवारिक समस्या हो गईहै, जिसकी वजह से वे भी प्रचार का काम नहीं देख पा रहे हैं। सो, परनीत कौर का प्रचार गड़बड़ाया है लेकिन उससे ज्यादा भाजपा को मुश्किल हो रही है। कैप्टेन शारीरिक रूप से प्रचार अभियान से दूर हैं लेकिन सोशल मीडिया पर भी उनकी ओर से कुछ नहीं कहा जा रहा है। भाजपा के नेता चाह रहे हैं कि परिवार के लोग उनके सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें और माहौल बनाएं। उससे कांग्रेस समर्थकों का एक वर्ग भाजपा की ओर आ सकता है। लेकिन वह भी नहीं हो रहा है। इस बीच प्रधानमंत्री पटियाला में रैली कर आए हैं। कैप्टन उस रैली में भी नहीं थे।