वैसे तो ऐसा कई चुनाव क्षेत्रों में हो रहा है कि कांग्रेस उम्मीदवार का मुकाबला अपनी ही पार्टी के किसी न किसी नेता से हो रहा है। इस बार कमाल की दलबदल हुई है और किसी पार्टी का आदमी किसी भी पार्टी से लड़ रहा है। सबसे ज्यादा कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी छोड़ी है और भाजपा ने या किसी अन्य कांग्रेस विरोधी पार्टी ने उसे टिकट दी है। लेकिन पंजाब की जालंधर सीट का मामला सबसे दिलचस्प है। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का मुकाबला दो पूर्व कांग्रेसी नेताओं से है। ध्यान रहे 2019 में यह सीट कांग्रेस ने जीती थी। इस सुरक्षित सीट से संतोष चौधरी चुनाव जीते थे। लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
संतोष चौधरी के निधन से खाली हुई जालंधर सीट पर उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस ने उनकी पत्नी करमजीत चौधरी को उम्मीदवार बनाया था। 2023 में हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के एक नेता सुशील कुमार रिंकू को अपनी पार्टी में शामिल करके उनको टिकट दी और वे चुनाव जीत गए। पिछले दिनों सुशील रिंकू ने आप भी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। अब वे भाजपा की टिकट पर जालंधर सीट से लड़ रहे हैं। इस बीच गुरुवार को कांग्रेस के दिग्गज और 50 साल तक कांग्रेस में रहे मोहिंदर सिंह केपी ने कांग्रेस छोड़ दी और अकाली दल में शामिल हो गए। अकाली दल ने उनको जालंधर से टिकट दिया है। सो, चन्नी का मुकाबले अपने दो पुराने साथियों सुशील रिंकू और मोहिंदर सिंह केपी से होगा। आप ने अकाली दल से आए पवन कुमार टीनू को टिकट दिया है।