विपक्षी पार्टियों की बैठक में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने इस पर विपक्षी पार्टियों की राय ली। हालांकि ज्यादातर पार्टियां ईवीएम से मतदान के विरोध में नहीं थीं। बताया जा रहा है कि विपक्ष की प्रादेशिक पार्टियों को लग रहा था कि कांग्रेस हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में अपनी हार के असली कारणों से ध्यान भटकाने के लिए ईवीएम का मुद्दा उठा रही है। तभी वे चुप रहे और ईवीएम के विरोध में कोई प्रस्ताव पास नहीं कराया जा सका। लेकिन ज्यादातर पार्टियों ने इस बात पर सहमति जताई कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने की ओर लौटने की बजाय वीवीपैट मशीनों से निकलने वाली पर्चियों की गिनती पर जोर दिया जाए।
यह भी कांग्रेस पार्टी का आइडिया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह आइडिया दिया था कि हर ईवीएम के साथ जुड़ी वीवीपैट मशीन की सभी पर्चियों को गिना जाए। विपक्षी पार्टियों ने इस पर सहमति जताई। अब विपक्ष मांग करेगा कि वीवीपैट की पर्ची मतदाता के हाथ में दी जाए ताकि वह देख सके कि उसका वोट सही दर्ज हुआ है और वह खुद उसे एक सीलबंद बॉक्स में डाले। मतगणना के समय ईवीएम के साथ साथ उस बॉक्स को भी खोला जाए और उसकी गिनती की जाए। इससे नतीजे आने में समय लगेगा लेकिन उस पर सबका भरोसा रहेगा। अब सवाल है कि क्या विपक्ष इसे लेकर गंभीर है? अगर विपक्ष गंभीर है तो इसके लिए उसे बड़ा आंदोलन करना होगा। यह ऐसा मुद्दा नहीं है, जो बैठक में तय करने से लागू हो जाएगा। सर्वोच्च अदालत ने हर विधानसभा में रैंडम पांच बूथों पर वीवीपैट पर्चियों की गिनती का आदेश दिया था। अगर विपक्ष हर बूथ पर गिनती कराना चाहता है तो उसे आक्रामक तरीके से कानून और राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी।