विपक्षी गठबंधन यानी ‘इंडिया’ की पार्टियां इतने से संतुष्ट नहीं हैं कि वे अपना अपना घोषणापत्र जारी कर रही हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन यानी एनडीए में तो किसी सहयोगी दल को अपना घोषणापत्र जारी करने की इजाजत नहीं है। सबकी ओर से भाजपा का ही घोषणापत्र जारी हुआ है, जिसे मोदी की गारंटी नाम दिया गया है। इसके उलट विपक्षी पार्टियां अपना अपना घोषणापत्र जारी कर रही हैं। कांग्रेस के अलावा राजद, डीएमके, सपा आदि सबने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी और साझा न्यूनतम कार्यक्रम यानी सीएमपी की बात की थी।
अब खबर है कि विपक्षी पार्टियों का एक साझा घोषणापत्र जारी होगा। अब सवाल है कि राज्यों की पार्टियों ने जो वादे किए हैं उनको इसमें शामिल किया जाएगा या नहीं? पार्टियों ने अपने राज्य में मुफ्त बिजली की घोषणा की है क्या कांग्रेस राष्ट्रीय घोषणापत्र में इसे शामिल करने पर राजी होगी? किसी ने केंद्र में 70 लाख नई नौकरियों के अवसर पैदा करने का वादा किया है तो किसी ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा किया है। ये वादे कांग्रेस के घोषणापत्र में नहीं हैं। क्या विपक्ष ये सारी घोषणाएं कर सकता है? सबसे बड़ा सवाल यह है कि अलग अलग घोषणापत्र जारी करने से पहले ही क्या पार्टियों को इस बारे में बात कर पहले ही एक साझा कार्यक्रम नहीं घोषित करना चाहिए था?