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कई पार्टियां एक साथ चुनाव के लिए तैयार

पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के मसले पर विचार के लिए बनी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी पहली बैठक में तय किया कि कमेटी देश की सभी पंजीकृत पार्टियों से राय लेगी और साथ ही विधि आयोग से भी इस बारे में राय मांगेगी। चुनाव आयोग को भी पूरी प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। अब सवाल है कि क्या पार्टियां पूरे देश में एक साथ चुनाव के लिए राजी होंगी? देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने पहले ही इससे इनकार कर दिया है। कांग्रेस और उसकी कई सहयोगी पार्टियां इस आइडिया को संघवाद की धारणा के खिलाफ बता रही हैं।

लेकिन दूसरी ओर देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा इसके समर्थन में हैं। भाजपा नेता खुल कर इसकी तरफदारी कर रहे हैं। उसकी कुछ सहयोगी पार्टियां भी इसके पक्ष में हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि जो पार्टियां तटस्थ रहने का दावा करती हैं उनमें से कई पार्टियां ऐसी हैं, जो एक साथ चुनाव के विचार से सहमत हैं। इनमें दक्षिण भारत की दो पार्टियां भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी एकसाथ चुनाव के लिए तैयार है और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल भी एक देश, एक चुनाव के लिए तैयार है। संयोग से इन दोनों राज्यों में पहले से ही लोकसभा के साथ चुनाव होता है। लेकिन योजना के तहत अपना चुनाव लोकसभा से पहले कराने वाले के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस भी साथ चुनाव के आइडिया से सहमत है। अब जेडीएस भी भाजपा के साथ चली गई है और वह भी एक साथ चुनाव के पक्ष में हैं। सो, जहां दक्षिण भारत से इस विचार का सबसे ज्यादा विरोध होने की संभावना थी वहां की तीनों बड़ी प्रादेशिक पार्टियां इस विचार से सहमत हैं। इसमें सिर्फ तमिलनाडु की पार्टियां अलग थलग रहेंगी।

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