प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल के गठन में चुनावी राज्यों का खास ध्यान रखा है। इस साल जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और अगले साल दिल्ली व बिहार में चुनाव हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद इन राज्यों को लेकर भाजपा आलाकमान की चिंता बढ़ी है क्योंकि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड तीनों जगह भाजपा को बड़ा झटका लगा है। उसे इन तीनों राज्यों में सीटों का नुकसान हुआ है। तभी इन राज्यों के नेताओं को कैबिनेट में ज्यादा जगह मिली है।
मोदी ने हरियाणा से दो की जगह तीन मंत्री बनाए हैं। पिछली बार दो मंत्री थे। इस बार सामाजिक समीकरण बनाते हुए मोदी ने तीन गैर जाट मंत्री बनाए हैं। गुरुग्राम से जीते राव इंद्रजीत सिंह मंत्री बने हैं, जो यादव समाज के हैं। फरीदाबाद के कृष्णपाल गुर्जर को भी मंत्री बनाया गया है और पंजाबी समाज के मनोहर लाल खट्टर मंत्री बने हैं। हालांकि इससे कांग्रेस को जाट, दलित के साथ ब्राह्मण का समीकरण बैठाने का मौका मिला है। झारखंड से अन्नपूर्ण देवी और संजय सेठ मंत्री बनाए गए हैं। ध्यान रहे राज्य में पांच सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं लेकिन उनमें से कोई भी सीट भाजपा नहीं जीत पाई है।
तभी इस बात की चर्चा थी कि हारने के बावजूद अर्जुन मुंडा मंत्री बन सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा ने यादव और वैश्य मंत्री बनाया है और उसे उम्मीद है कि बाबूलाल मरांडी के अध्यक्ष होने से विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट मिलेगा। महाराष्ट्र से भाजपा ने छह मंत्री बनाए हैं। नितिन गडकरी और पीयूष गोयल जैसे बड़े चेहरे राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। एकनाथ शिंदे गुट के एक नेता को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया है। हालांकि अजित पवार की एनसीपी से कोई मंत्री नहीं बना है, जिसे लेकर विवाद चल रहा है। फिर भी मराठा, ब्राह्मण और पिछड़ा तीनों का संतुलन भाजपा ने बनाया है।