भारतीय जनता पार्टी वैसे तो 38 पार्टियों की एनडीए की नेता है और महाराष्ट्र में उसके गठबंधन में चार पार्टियां हैं। भाजपा के अलावा शिव सेना, एनसीपी का अजित पवार गुट और रामदास अठावले की आरपीआई एक साथ हैं। लेकिन अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने एकतरफा तरीके से सीट बंटवारे की घोषणा कर दी। शुक्रवार को भाजपा के नेता और राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने ऐलान किया कि अगले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा राज्य की 48 में से 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बची हुई 22 सीटें सहयोगी पार्टियों को दी जाएंगी। उन्होंने एकनाथ शिंदे की पार्टी शिव सेना और अजित पवार गुट के एनसीपी का नाम लिया। अठावले की पार्टी का उन्होंने जिक्र नहीं किया, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार उनको सीट नहीं मिलेगी। वे अभी भाजपा की मदद से राज्यसभा सांसद हैं। उनकी पार्टी को विधानसभा में सीट मिलेगी।
बहरहाल, फड़नवीस की घोषणा के बाद शनिवार को अजित पवार ने नाराजगी जताई और कहा कि अभी सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। इसके थोड़ी देर बाद फड़नवीस ने अपना बयान वापस ले लिया। गौरतलब है कि पिछली बार शिव सेना के साथ तालमेल में भाजपा 25 सीटों पर लड़ी थी और शिव सेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। भाजपा ने 23 और शिव सेना ने 18 सीटें जीती थीं। जब से एकनाथ शिंदे गुट को असली शिव सेना की मान्यता मिली है तब से उनके नेता 23 सीटों की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर एनसीपी भी कांग्रेस के साथ तालमेल में 19 सीटों पर चुनाव लड़ी थी तो अजित पवार का खेमा भी 19 सीटों की मांग कर रहा है। हालांकि सबको पता है कि शिव सेना का वोट एकनाथ शिंदे की बजाय उद्धव ठाकरे के पास है और एनसीपी का वोट अजित पवार की बजाय शरद पवार के साथ है। किसी स्थिति में शिंद और अजित पवार आधी पार्टी के ही नेता माने जाएंगे। इसी फॉर्मूले के तहत फड़नवीस ने दोनों के लिए 11-11 सीटें छोड़ने की बात कही। हालांकि अभी सीट बंटवारे के बारे में अंतिम तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि दोनों पार्टियों की आने वाले दिनों में क्या स्थिति रहने वाली है यह अभी स्पष्ट नहीं है।