महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति यानी भाजपा, शिव सेना और एनसीपी का गठबंधन कैसा रहेगा यह अभी तय नहीं है। एनसीपी (असली) यानी अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी को लेकर भाजपा और आरएसएस दोनों में हिचक है। उनको लग रहा है कि अजित पवार से तालमेल का नुकसान हो रहा है। हालांकि शिव सेना (असली) यानी एकनाथ शिंदे की पार्टी से तालमेल रहेगा, इसकी गारंटी दी जा रही है। लेकिन तालमेल में कितनी सीटें मिलेंगी इसे लेकर खींचतान होने वाली है। उससे पहले शिंदे गुट ने ‘सेंचुरी प्लान’ बनाना शुरू कर दिया है। एकनाथ शिंदे की पार्टी कह रही है कि उसे राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से कम से कम एक सौ सीट चाहिए।
शिंदे गुट की मांग इस आधार पर है कि पिछली बार विधानसभा चुनाव में भाजपा और एकीकृत शिव सेना एक साथ लड़े थे तो शिव सेना को 124 सीटें मिली थीं। लेकिन भाजपा इसे आधार मानने को तैयार नहीं है और खास कर लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद। लोकसभा में शिंदे की पार्टी के सात सांसद जीते हैं, जबकि उद्धव ठाकरे गुट की शिव सेना के नौ सांसद जीते हैं। यानी शिंदे को मुख्यमंत्री बना देने के बावजूद महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बड़ी ताकत हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा ज्यादा से ज्यादा 70 सीटें शिंदे के लिए छोड़ सकती है। अगर अजित पवार की पार्टी भी साथ रहती है तो शिंदे और अजित पवार दोनों को पिछली बार शिव सेना को दी गई सीटों के बराबर यानी 124 सीटें मिल सकती हैं। अगर अजित पवार गठबंधन में नहीं रहते हैं शिंदे गुट की सीटें कुछ बढ़ सकती हैं।