भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की कई सहयोगी पार्टियां अलग अलग कारणों से परेशान हैं। कई राज्यों में तो सहयोगी भाजपा का साथ छोड़ गए। हालांकि भाजपा को उसकी परवाह नहीं है। जुलाई में भाजपा ने 38 सहयोगी पार्टियों को जुटा कर एनडीए की बैठक की थी। उसके जरिए उसने विपक्षी गठबंधन की बेंगलुरू बैठक से फोकस हटाया था और यह प्रचार किया था कि विपक्ष से ज्यादा पार्टियां उसके गठबंधन में हैं। लेकिन उसके बाद किसी सहयोगी पार्टी की कोई सुध नहीं ली गई। उस बैठक में शामिल हुई तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी अन्नाडीएमके ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है। मिजोरम में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट ने भी एनडीए छोड़ दिया है। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी राजस्थान में लोकसभा का चुनाव लड़ रही है और भाजपा को नुकसान पहुंचा रही है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक जननायक जनता पार्टी की भी एनडीए से विदाई हो सकती है। भाजपा ने हरियाणा में अपनी पोजिशनिंग कर ली है। उसने जाट नेता ओमप्रकाश धनखड़ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा कर पिछड़ी जाति के नायब सिंह सैनी को अध्यक्ष बना दिया है। इस तरह गैर जाट राजनीति का दांव उसने चल दिया है। कहा जा रहा है कि दुष्यंत चौटाला की पार्टी अलग लड़ेगी तो कांग्रेस के जाट वोट में सेंध लगाएगी। लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे की समस्या के कारण भी जननायक जनता पार्टी से विवाद है।
एनडीए का सबसे बड़ा विवाद महाराष्ट्र में चल रहा है, जहां शिव सेना, भाजपा और एनसीपी के अजित पवार गुट की महायुति की सरकार चल रही है। वहां अजित पवार मुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव बनाए हुए हैं और भाजपा को भी लग रहा है कि उनको सीएम बनाने से ही मराठा वोट गठबंधन को मिल पाएगा। तभी महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि भाजपा नफा-नुकसान का आकलन कर रही है। अगर एकनाथ शिंदे हटाए जाते हैं तो शिव सेना में बिखराव होगा और कुछ नेता उद्धव ठाकरे गुट के साथ जा सकते हैं। लेकिन भाजपा का आकलन है कि शिंदे की वजह से वोट का ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है इसलिए उनके जाने से वोट का ज्यादा नुकसान भी नहीं होगा।
बिहार में भाजपा की सहयोगी पार्टियां सीट बंटवारे को लेकर बेचैन हैं। प्रदेश में भाजपा अपना प्रचार तो कर रही है लेकि विपक्षी पार्टियों के साथ सीटों का तालमेल फाइनल नही कर रही है। लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पसवान और पशुपति पारस खेमे से कैसे तालमेल होगा यह पता नहीं है। दोनों खेमे आपस में लड़ रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को लेकर बिहार में यह चर्चा शुरू हो गई है कि वे वापस जनता दल यू में लौट सकते हैं। हालांकि वे खुद इस बात से इनकार कर रहे हैं। हाल में एनडीए में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बारे में खबर है कि भाजपा उनको एक सीट देना चाहती है। इसे लेकर उनके यहां अलग परेशानी है। झारखंड में भाजप की सहयोगी आजसू पिछली बार एक लोकसभा सीट पर लड़ी थी इस बार कहा जा रहा है कि भाजपा उसके लिए कोई लोकसभा सीट नहीं छोड़ना चाहती है। उत्तर प्रदेश में अनुप्रिया पटेल का मामला स्पष्ट है लेकिन ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद की पार्टियों को कितनी सीटें मिलेंगी यह साफ नहीं है।