दिल्ली के सेवा बिल पर कांग्रेस के नेता जिस तरह से राज्यसभा में बहस कर रहे थे उसे देख कर लग रहा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का तालमेल बना रहेगा। हालांकि जिस समय कांग्रेस के नेता संसद में बिल के विरोध में भाषण दे रहे थे उसी समय दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने बयान दिया कि कांग्रेस को इस बिल का विरोध नहीं करना चाहिए। अजय माकन पहले ही इस बिल का समर्थन कर चुके हैं। दिल्ली की प्रदेश कमेटी पूरी तरह से आम आदमी पार्टी से दूरी बनाए रखने के समर्थन में है तो पंजाब के नेता भी नहीं चाहते हैं कि आप और कांग्रेस में तालमेल हो। सो, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को इस विरोधाभास को दूर करने के लिए काम करना होगा।
इस बीच आम आदमी पार्टी के गुजरात के नेता और पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे इशुदान गढ़वी ने ऐलान कर दिया कि अगले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन होगा। हालांकि प्रदेश के नेताओं ने इस पर तत्काल विराम लगाया। उन्होंने कहा कि ऐसा कहना अभी जल्दबाजी है। ध्यान रहे पिछले साल के विधानसभा चुनाव में आप की वजह से कांग्रेस एकदम हाशिए में चली गई औऱ मुख्य विपक्षी पार्टी बनने लायक सीट भी हासिल नहीं कर पाई। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 43 से घट कर 27 हो गया और आप का जीरो से बढ़ कर 13 हो गया। कांग्रेस का नुकसान ही आप का फायदा था।
दिल्ली और गुजरात के नेताओं के बयानों के बीच संसद में दिया राघव चड्ढा का भाषण भी दोनों पार्टियों के तालमेल पर सवाल उठाने वाला है। दिल्ली के सेवा बिल पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू भी दिल्ली सरकार को अधिकार दिए जाने के पक्ष में नहीं थे। इसका जवाब देत हुए चड्ढा ने अपने भाषण में कहा कि आप नेहरूवादी नहीं, अटलवादी बनिए। कांग्रेस के कई नेता इससे चिढ़े हैं। कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है की आप के नेता अरविंद केजरीवाल की महत्वाकांक्षा बड़ी है और वे कई राज्यों में सीट की मांग करेंगे इसलिए कांग्रेस के लिए तालमेल मुश्किल होगा।