भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में हर क्षेत्र में अपने को मजबूत करने में जुटी है ताकि अगले चुनाव में प्रदर्शन और बेहतर किया जा सके। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसकी सहयोगी अपना दल को 64 सीटें मिली थीं, जो 2014 के मुकाबले नौ कम थीं। अगले चुनाव में भाजपा 2014 का प्रदर्शन दोहराना चाहती है। इसलिए वह पूरब से लेकर पश्चिम तक संगठन को मजबूत कर रही है और सहयोगी पार्टियों को जोड़ रही है। भाजपा ने पहले चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। अपना दल के साथ साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के भाजपा से जुड़ जाने से वह मजबूत हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के सामाजिक समीकरण में मजबूत स्थिति वाली निषाद पार्टी भी भाजपा की सहयोगी है। सो, पूर्वी उत्तर प्रदेश में उसका सामाजिक समीकरण काफी मजबूत दिख रहा है।
अब भाजपा की नजर पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर है। पार्टी ने पश्चिमी यूपी के जाट नेता भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। लेकिन वह इतने भर से आश्वस्त नहीं है। क्योंकि पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी एक बड़ी ताकत हैं और दलित वोट की बहुलता की वजह से मायावती भी एक बड़ी ताकत हैं। अगर कांग्रेस, सपा और रालोद एक साथ आते हैं तो भाजपा के लिए पश्चिमी यूपी की लड़ाई मुश्किल होगी। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा किसी तरह से जयंत चौधरी को साथ लाने का प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर यह प्रयास भी कर रही है कि बसपा का कुछ वोट उसकी तरफ शिफ्ट हो या बंट जाए। यानी वह विपक्ष की ओर न जाए। इस राजनीति में कुछ दांव-पेंच अगले कुछ दिनों में देखने को मिलेंगे।