विपक्षी पार्टियों की ओर से चुनाव आयोग और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन के ऊपर हमला तेज हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों के बाद इन दोनों मुद्दों पर सोशल मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। विपक्षी पार्टियों के समर्थक भाजपा की हार की बात तो करते हैं लेकिन साथ ही यह भी कह देते हैं कि ईवीएम मैनेज हुआ तो कुछ नहीं हो सकेगा। इससे ऐसा लगता है वे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं और एक बहाना खोज रहे हैं, जिससे अपनी हार को उधर मोड़ा जा सके। तभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहना शुरू कर दिया है कि विपक्षी पार्टियां चार जून को हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ेंगी। इस बीच समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा में पहुंचे देश के जाने माने वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने सभी विपक्षी उम्मीदवारों के लिए कुछ सलाह दी है। विपक्षी नेताओं और उम्मीदवारों को ईवीएम और चुनाव आयोग के खिलाफ अभियान चलाने की बजाय सिब्बल की सलाह को ध्यान से सुनना चाहिए और उस पर अमल करना चाहिए।
सिब्बल ने एक चार्ट बनाया है और प्रेस कांफ्रेंस करके बताया है कि सभी उम्मीदवारों के काउंटिंग एजेंट्स को वोटों की गिनती के दिन क्या क्या करना है। कपिल सिब्बल ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में चार्ट के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले काउटिंग एजेंट्स को वोटों को गिनती शुरू होने से पहले कंट्रोल यूनिट नंबर और बैलेट यूनिट नंबर को चेक करना है। इसके बाद पेपर सील चेक करना है और वीवीपैट आईडी मैच करनी है। मशीन खुलने पर ये सारे नंबर डिस्प्ले होंगे और ये सारे नंबर मतदान के दिन भी दर्ज किए गए होंगे, जो पार्टियों के पोलिंग एजेंट्स के पास होंगे। सिब्बल ने बताया है कि जब मशीन खुलेगी तब उस पर पोल स्टार्ट टाइम और पोल एंड टाइम यानी मतदान शुरू होने का समय और समाप्त होने का समय होगा और तारीख भी होगी। सभी काउंटिंग एजेंट्स को इसे जरूर मैच करना है। क्योंकि इसमें कोई विसंगति है तो इसका मतलब कि गड़बड़ है।
कपिल सिब्बल ने जिस एक बात पर सबसे ज्यादा ध्यान देने को कहा वह है मशीन खुलने पर उस पर क्या तारीख और समय डिस्प्ले होता है। उन्होंने कहा कि चार जून की तारीख आनी चाहिए और रियल टाइम डिस्प्ले होना चाहिए। यानी अगर काउटिंग सुबह आठ बजे शुरू हो रही है तो उस पर सुबह आठ बजे का समय आना चाहिए। अगर मशीन पर तारीख और समय में कोई विसंगति है तो इसका मतलब है कि गड़बड़ है। फिर उन्होंने कुल वोट की संख्या मैच करनी है ताकि अगर ज्यादा वोट की गिनती हो तो गलती पकड़ी जाए। उन्होंने कहा कि कंट्रोल यूनिट नंबर, बैलेट यूनिट नंबर, वीवीपैट आईडी सबसे सीरियल नंबर मैच करने और मतदान की तारीख व समय सहित मतगणना की तारीख और समय चेक करने के बाद ही रिजल्ट बटन दबाने की अनुमति देनी है। यह सुझाव पार्टियों के लिए बहुत अहम है। ध्यान रहे सभी पार्टियों के पोलिंग एजेंट्स के पास फॉर्म 17सी होगा, जिस पर मतदान के दिन का पूरा ब्योरा होगा। उस पर मशीन का नंबर और कुल पड़े वोटों की संख्या होगी। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जितने वोट पड़े हैं उतने ही गिने जाएं।