भाजपा की एक एक सीट पर काम करने का एक नमूना पश्चिम बंगाल में दिख रहा है। पिछले चुनाव में भाजपा को पश्चिम बंगाल में छप्पर फाड़ सीटें मिली थीं। उसने 18 सीटें जीत ली थी, जबकि नरेंद्र मोदी के पहले चुनाव में यानी 2014 में उसे सिर्फ दो सीटें मिली थीं। tmc leader tapas joins bjp
अब भाजपा की चिंता किसी तरह से इन 18 सीटों को बचाने की है। इसलिए ध्रुवीकरण कराने के सारे उपाय हो रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही पार्टी ऐसे उम्मीदवारों की तलाश कर रही है, जो कोई नई सीट जीत कर दे दें। इसका मकसद यह है कि अगर पार्टी किसी जीती हुई सीट पर हारती है तो नई सीट से उसकी भरपाई हो जाए। इस रणनीति का एक पक्ष यह भी है कि अगर किस्मत साथ देती है तो ज्यादा सीटें भी जीती जा सकती है। tmc leader tapas joins bjp
सो, भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के पुराने नेता तपस रॉय को पार्टी में शामिल कराया है। सोचें, तपस रॉय पर महीने पहले ही ईडी ने छापा मारा था। यानी ज्यादा समय नहीं गुजरा है, जब उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। नगरपालिका भर्ती घोटाले को लेकर इस साल 12 जनवरी को तपस रॉय के यहां ईडी का छापा पड़ा था और वे छह मार्च को भाजपा में शामिल हो गए।
शुभेंदु अधिकारी ने उनको पार्टी में शामिल कराया और कहा जा रहा है कि वे कोलकात उत्तरी सीट से भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं। इसी तरह खबर है कि हाई कोर्ट के जज के पद से इस्तीफा देने वाले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय को भाजपा तामलुक सीट से उम्मीदवार बना सकती है। ऐसे नए उम्मीदवारों से भाजपा को अतिरिक्त सीट जीतने की उम्मीद है। देश के दूसरे राज्यों में भी भाजपा इस रणनीति पर काम कर रही है। वह कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से नेताओं को तोड़ कर उनके मुश्किल सीटों पर या पिछली बार अपनी हारी हुई सीटों पर उम्मीदवार बना रही है।