यह हैरान करने वाली बात है लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में ऐसे कई बड़े मुद्दे नदारद हैं, जिनके बारे में माना जा रहा था कि ये चुनाव में बड़ा मुद्दा बनेंगे। जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों की मानें तो ज्यादातर बड़े मुद्दे गायब हैं। लोग उन पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर पर अनुच्छेद 370 का मामला है। पांच साल पहले केंद्र सरकार ने इसे समाप्त किया था तो लग रहा था कि यह बड़ा भावनात्मक मुद्दा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वजह से भाजपा को 370 सीट मिलने का दावा किया है। लेकिन हिंदी पट्टी से लेकर दक्षिण तक लोग इसकी चर्चा करते हुए नहीं हैं।
इसी तरह नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और एनआरसी का मामला है। इन दोनों की चर्चा इस बार बिल्कुल नहीं हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक असम में भी यह मुद्दा नहीं है। जब सीएए कानून बना था तब सबसे ज्यादा विरोध असम में हुआ था। लेकिन वहां अब इसकी कोई चर्चा नहीं है और जहां तक एनआरसी की बात है तो उसे भाजपा ने खुद ही अपने घोषणापत्र में शामिल नहीं किया है। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की घटना का जिक्र मीडिया में खूब हो रहा है और प्रधानमंत्री मोदी इसे मुद्दा बना रहे हैं लेकिन यह जिस बशीरहाट लोकसभा सीट के तहत आता है वहां इसका कोई मुद्दा नहीं है। हालांकि ऐसा नहीं है कि लोग वास्तविक और जमीनी मुद्दों की चर्चा कर रहे हैं। वे महंगाई, बेरोजगारी की भी कम ही चर्चा कर रहे हैं।