लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कोई नया गठबंधन तो नहीं बना सकती है लेकिन जो गठबंधन बना हुआ है उसमें भी बहुत कुछ बिखरता दिख रहा है। सोचें, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली, हरियाणा, गोवा और गुजरात में तालमेल किया है। लेकिन पंजाब में आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा जा रहा है।
कांग्रेस के विधायक राजकुमार चब्बेवाल दो दिन पहले आम आदमी पार्टी में चले गए। इसका बड़ा असर दिल्ली और हरियाणा पर होगा। दोनों पार्टियां पंजाब में एक दूसरे के खून की प्यासी हो रही हैं लेकिन बगल के राज्य में साथ मिल कर चुनाव लड़ रही हैं।
इसी तरह असम में बारपेटा सीट से कांग्रेस के सांसद अब्दुल खालिक ने पार्टी छोड़ दी है। वे पिछली बार कांग्रेस के जीते तीन सांसदों में से एक थे। इस बार कांग्रेस ने उनको टिकट नहीं दी तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी। हो सकता है कि वे किसी और पार्टी से या निर्दलीय चुनाव लड़ जाएं, इससे कांग्रेस की संभावना को नुकसान होगा।
कांग्रेस ने असम में बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ से तालमेल नहीं किया और अजमल ने अपनी धुबरी सहित मुस्लिम बहुल तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। झारखंड में कांग्रेस की इकलौती सांसद गीता कोड़ा भाजपा में चली गई हैं तो बिहार में चुनाव से पहले कांग्रेस के दो विधायक पाला बदल कर भाजपा के साथ जा चुके हैं तो दो और महिला विधायक पाला बदलने की तैयारी में हैं।
पंजाब में परनीत कौर ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली है। महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश हर जगह कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला चल रहा है। ऐसा लग रहा है कि अशोक चव्हाण के बाद संजय निरूपम भी पाला बदलेंगे।