कांग्रेस पार्टी किश्तों में उम्मीदवारों की घोषणा कर रही है। पार्टी के नेता आराम से बैठे हैं। कई राज्यों में तो छंटनी समिति की बैठक हो गई और उसके बाद उसकी बनाई सूची को लेकर केंद्रीय चुनाव समिति के नेताओं की भी बैठक हो गई लेकिन सूची वापस कर दी गई और नए सिरे से विचार करने को कहा गया। सवाल है कि कांग्रेस ने विपक्ष में रह कर चुनाव की क्या तैयारी की थी? राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर रहे थे लेकिन बाकी नेता क्या कर रहे थे? उन्होंने क्या सर्वे कराया था, जमीनी फीडबैक मंगाई थी, पार्टी के लिए प्रतिबद्ध नेताओं और जीतने वाले उम्मीदवारों की सूची बनाई थी? सरकार में रह कर भाजपा ने यह सब काम कर लिया था लेकिन कांग्रेस का काम पूरा नहीं हुआ।
कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां भी इस बात से परेशान हैं। तभी दिल्ली में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस अपने कोटे की तीन सीटों पर उम्मीदवार घोषित करती तो प्रचार शुरू होता। सोचें, आप ने तीन हफ्ते पहले उम्मीदवार घोषित कर दिए और कांग्रेस में अब भी संभावित उम्मीदवारों में नए नए नाम जुड़ रहे हैं। यही स्थिति हरियाणा की है। यही स्थिति हिमाचल प्रदेश की है। यही बिहार और झारखंड की है। यही स्थिति अमेठी और रायबरेली को लेकर है। भाजपा के उम्मीदवारों का प्रचार चल रहा है, रैलियां हो रही हैं और कांग्रेस में अभी संभावित उम्मीदवार तलाशे जा रहे हैं।