बॉम्बे हाई कोर्ट के एक अहम फैसले के बाद देश के कम से कम दो राज्यों में दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। अगर हाई कोर्ट के फैसले पर अमल हुआ तो बॉम्बे की अकोल वेस्ट सीट के साथ साथ झारखंड की गांडेय और हरियाणा की करनाल सीट पर भी उपचुनाव रूक सकता है। असल में बॉम्बे हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने अकोला वेस्ट विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए जारी चुनाव आयोग की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि अभी इस सीट पर चुनाव होगा और इसके नतीजे चार जून को आएंगे, जिसके बाद चुने गए विधायक के पास जनता की सेवा करने के लिए सिर्फ तीन या चार महीने बचेंगे। ऐसे में इस चुनाव की कोई जरुरत नहीं है।
बॉम्बे हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 151 (ए) का हवाला दिया है और कहा कि अगर किसी सीट का कार्यकाल एक साल से कम बचा है तो वहां चुनाव कराने की जरुरत नहीं है। ध्यान रहे महाराष्ट्र की अकोला वेस्ट सीट पिछले साल तीन नवंबर को खाली हुई थी और चुनाव आयोग ने 16 मार्च को उपचुनाव की अधिसूचना जारी की है। यह बहुत दिलचस्प है कि हाई कोर्ट ने ही पुणे लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं कराने के लिए चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी और कहा था कि वह तत्काल चुनाव कराए, जबकि उस समय तक लोकसभा का कार्यकाल छह महीने ही बचा हुआ था। यह अलग बात है कि सीट काफी पहले से खाली थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था और सुप्रीम कोर्ट ने कम समय बचा होने की दलील के आधार पर चुनाव रूकवा दिया था। तभी सवाल है कि अगर अकोला वेस्ट का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचता है तो क्या होगा?
बहरहाल, यह मामला बहुत दिलचस्प इसलिए है क्योंकि कम से कम दो और ऐसी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, जिनका कार्यकाल एक साल से कम बचा है। हरियाणा की करनाल सीट का कार्यकाल सीट खाली होने के दिन से सात महीने बचा है और चुनाव नतीजा आने के दिन से पांच महीने बचा रहेगा। इसी तरह झारखंड की गांडेय सीट का कार्यकाल सीट खाली होने के दिन से एक साल बचा हुआ था लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद से आठ महीने बचा रहेगा। सो, क्या बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला इन दोनों सीटों पर लागू होगा? या क्या इन दोनों राज्यों का कोई नेता या सामाजिक कार्यकर्ता संबंधित राज्य के हाई कोर्ट में पहुंचेगा?
हरियाणा की करनाल और झारखंड की गांडेय सीट बहुत हाई प्रोफाइल हैं। करनाल सीट से पहले मनोहर लाल खट्टर विधायक होते थे, जिनके इस्तीफा देने से सीट खाली हुई है। उनकी जगह हरियाणा के मुख्यमंत्री बने नायब सिंह सैनी उस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। अगर वहां चुनाव नहीं होता है तो सैनी को सितंबर के पहले हफ्ते में इस्तीफा देना होगा, जबकि राज्य में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होना है। इसी तरह झारखंड की गांडेय सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को चुनाव लड़ना है। उनकी जीत हार पर भी राज्य की राजनीति का बहुत कुछ दांव पर है।