भारतीय जनता पार्टी उन राज्यों में बहुत मेहनत कर रही है और नई रणनीति बना रही है, जहां उसको पिछले लोकसभा चुनाव में छप्पर फाड़ सीटें मिली थीं। कर्नाटक ऐसा ही एक राज्य है। वहां की 28 में से 25 सीटें भाजपा ने जीती थी और एक सीट उसकी समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार सुमलता अम्बरीश को मिली थी। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गईं और इस बार भाजपा की टिकट पर ही लड़ेंगी। सो, राज्य में भाजपा को 26 सीटें बचानी हैं। इस साल मई में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत के बाद भाजपा के लिए यह मुश्किल काम हो गया है। तभी पार्टी नए समीकरण बनाने में जुटी है।
इसके तहत सबसे बड़े लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। इससे पहले सबसे बड़े वोक्कालिगा नेता एचडी देवगैड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ भाजपा ने तालमेल किया। गौरतलब है कि जेडीएस की कमान देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी के हाथ में है। भले बीवाई विजयेंद्र और एचडी कुमारस्वामी का चेहरा आगे किया गया है लेकिन बताया जा रहा है कि असली राजनीति येदियुरप्पा और देवगौड़ा ही कर रहे हैं। अब भी दोनों समुदायों में इन दोनों का ही चेहरा सबसे लोकप्रिय है। हालांकि इन दोनों उम्रदराज दिग्गज नेताओं के साथ मिल कर काम करने के बावजूद भाजपा बहुत भरोसे में नहीं है। इसका कारण है कि लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों का जमीन पर आपस में संघर्ष रहता है। उनका साथ मिल कर वोट डालना मुश्किल होता है। बताया जा रहा है कि दोनों समुदायों को साथ मिल कर वोट कराने के लिए येदियुरप्पा और देवगौड़ा बड़ी मेहनत कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ओबीसी नेता सिद्धरमैया, वोक्कालिगा नेता डीके शिवकुमार, दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के सहारे राजनीति कर रही है। उसे एकतरफा मुस्लिम वोट का भरोसा है।