भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने कार्यकाल का विस्तार होने के छह महीने बाद अपनी टीम का गठन किया। उन्होंने पिछले दिनों 38 सदस्यों की अपनी टीम की घोषणा की। लेकिन काम का बंटवारा नहीं किया। यह अलग बात है कि नई टीम ज्यादातर पुराने सदस्यों को रखा गया है। फिर भी कई कारणों से काम का बंटवारा जरूरी है। अगले तीन-चार महीने में राज्यों में होने वाले चुनाव और अगले साल के लोकसभा चुनाव के हिसाब से भी काम का बंटवारा जरूरी है। लेकिन यह इसलिए भी जरूरी है कि जो पदाधिकारी हटे हैं उनका काम किसी को नहीं दिया गया है और कुछ पदाधिकारी पहले से निष्क्रिय हैं, उन्हें नई जिम्मेदारी देने की जरूरत है।
मिसाल के तौर पर पार्टी की महासचिव डी पुरंदेश्वरी को आंध्र प्रदेश का अध्यक्ष बना दिया गया है। सो, महासचिव के नाते उनके पास जो जिम्मेदारी थी उसे किसी दूसरे महासचिव को देना होगा। ऐसे ही सीटी रवि को महासचिव पद से हटा दिया गया है। उनको कर्नाटक का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है। उनके पास भी जो प्रभार था वह किसी को देना होगा। राधामोहन सिंह पार्टी के उपाध्यक्ष थे और उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे। अब किसी अन्य वरिष्ठ नेता को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया जाना है। कैलाश विजयवर्गीय फिर से पार्टी के महासचिव बनाए गए हैं। वे पश्चिम बंगाल के प्रभारी थे लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद उनकी सक्रियता शून्य हो गई थी। वे अब बंगाल नहीं जाते हैं। एक तरह से पश्चिम बंगाल बिना प्रभारी के ही है। प्रदेश के नेता खासतौर से तृणमूल कांग्रेस से आकर भाजपा विधायक दल के नेता बने शुभेंदु अधिकारी ही सब कुछ संभाल रहे हैं। संगठन महासचिव सहित कुल नौ महासचिव बनाए गए हैं, जिनमें से दो नए चेहरे हैं- बंदी संजय कुमार और राधामोहन अग्रवाल। इन दोनों को भी किसी न किसी राज्य की जिम्मेदारी देनी है।