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कांग्रेस की भोपाल रैली क्यों रद्द?

यह लाख टके का सवाल है कि जब विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की समन्वय समिति के नेताओं ने सोच समझ कर तय किया था कि विपक्ष की पहली साझा रैली मध्य प्रदेश में होगी तो कांग्रेस ने उसे क्यों रद्द कर दिया। कांग्रेस की ओर से आधिकारिक रूप से कोई कारण नहीं बताया जा रहा है लेकिन सूत्रों के हवाले से कांग्रेस ने जो कारण मीडिया को बताए हैं वो बहुत यकीन करने वाले नहीं है। कहा गया है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की पांच अक्टूबर को धार में रैली होने वाली है। इसलिए विपक्ष की रैली टाल दी गई क्योंकि दो बड़ी रैलियों की तैयारी संभव नहीं थी। अगर सचमुच ऐसा है तो कांग्रेस क्या चुनाव लड़ेगी? जब चुनावी महीने में वह दो रैलियों का आयोजन करने में सक्षम नहीं है तो इसका मतलब है कि वह भाजपा जैसी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं है।

हकीकत में ऐसा नहीं है कि कांग्रेस दो रैलियां करने में सक्षम नहीं है। हकीकत यह है कि कांग्रेस ने वोट का नुकसान होने की चिंता में रैली टाली है। कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि विपक्षी गठबंधन की साझा रैली से कई राज्यों में कांग्रेस को फायदा हो सकता है लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस को नुकसान हो जाएगा। मध्य प्रदेश सांप्रदायिक आधार पर बहुत जल्दी ध्रुवीकरण वाला राज्य है। यही कारण है कि प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति करते हैं। यहां तक कि दिग्विजय सिंह भी मंदिर, आश्रमों की परिक्रमा करते रहते हैं। हिंदू वोट का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में न हो इसके लिए कमलनाथ और सांसद बेटे तो बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री तक के चरणों में लोट लगा रहे हैं। इसलिए उनके लिए मुश्किल था कि विपक्ष के एमके स्टालिन, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव या कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं के साथ मंच साझा करें।

कमलनाथ और प्रदेश की चुनाव लड़ाने वाली कमेटी को लग रहा था कि अगर विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की साझा रैली होती है तो उसमें एमके स्टालिन भी हिस्सा लेंगे, जिनके बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उदयनिधि और डीएमके के दूसरे नेता ए राजा ने सनातन धर्म को बीमारी बताते हुए इसका उन्मूलन करने का बयान दिया था और विवाद होने के बाद भी बयान से पीछे हटने की बजाय दोनों नेता अपने बयान पर कायम रहे थे। भाजपा इसका बड़ा मुद्दा बना रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमान संभाली है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर हमला करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन का मकसद सनातन को खत्म करके देश को फिर से एक हजार साल की गुलामी में धकेलना है। अगर विपक्ष की साझा रैली मध्य प्रदेश में होती तो प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों इसका बड़ा मुद्दा बनाते। शिवराज ने कहा भी है कि सनातन पर विपक्षी नेताओं की बयानबाजी से आम लोग नाराज हैं इसलिए कांग्रेस ने रैली स्थगित की है।

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