विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की चौथी बैठक की एक खास बात यह रही कि सभी मुख्य पार्टियों के नेताओं ने सबसे बड़ी चुनौती को पहचाना और उस पर विस्तार से चर्चा की। विपक्ष की सबसे बड़ी चुनौती ऐसे छह राज्यों में सीट बंटवारे की है, जहां कांग्रेस बड़ी ताकत नहीं है। इन छह राज्यों की सबसे बड़ी बात यह है कि वहां प्रादेशिक पार्टियां मजबूत हैं और भाजपा भी मजबूत है। दूसरी खास बात यह है कि इन छह राज्यों में ही गठबंधन की पार्टियां ताकत लगा कर भाजपा की सीटें कुछ कम कर सकती हैं। इनके अलावा एक दो और राज्य हैं लेकिन वहां गठबंधन की जरुरत नहीं है या गठबंधन है तो सीट बंटवारे में समस्या नहीं है।
सीट बंटवारे की समस्या पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब में है। इन छह राज्यों में लोकसभा की 230 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा के पास 129 सीटें हैं, जबकि उसकी सहयोगियों के पास 20 सीटें हैं। यानी 149 सीटें एनडीए के पास हैं। अलग अलग कारणों से इन राज्यों में सीट बंटवारा मुश्किल काम है। जैसे महाराष्ट्र में पहले कांग्रेस और एनसीपी मिल कर लड़ते थे। इस बार शिव सेना का उद्धव ठाकरे गुट भी शामिल हो गया है। ऊपर से शिव सेना और एनसीपी में टूट हो गई है। दोनों पार्टियों की सीटों की दावेदारी पुराने गठबंधन के हिसाब से है। इसी तरह बिहार में पहली बार राजद और जदयू मिल कर लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले हैं। कुल छह पार्टियां अभी गठबंधन में हैं और एक अन्य पार्टी के आने की संभावना है, जिससे 40 सीटों का बंटवारा मुश्किल हो गया है।
पश्चिम बंगाल में पिछली बार कांग्रेस और लेफ्ट ने अलग अलग चुनाव लड़ा था और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस अलग लड़ी थी। चारकोणीय लड़ाई में भाजपा ने 41 फीसदी वोट और 18 सीटें हासिल की थीं। अगर कांग्रेस, तृणमूल और लेफ्ट बहुत सोची समझी रणनीति के साथ नहीं लड़ते हैं तो भाजपा को फायदा हो सकता है। उत्तर प्रदेश की समस्या यह है कि अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में तालमेल बिगड़ा है। ऊपर से कांग्रेस और रालोद दोनों अपनी हैसियत से ज्यादा सीटें मांग रहे हैं। दिल्ली और पंजाब में अभी तक कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की लड़ाई रही है। दोनों राज्यों में आप की सरकार है और इसलिए वह ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है। दूसरी ओर इन दो राज्यों की 20 सीटों में कांग्रेस के पास अभी सात सीटें हैं, जबकि आप के पास सिर्फ एक सीट है।
विपक्षी गठबंधन की चौथी बैठक में इन छह राज्यों में सीट बंटवारे की मुश्किल को रेखांकित किया गया है और इसी वजह से इन राज्यों की मुख्य पार्टियों के नेताओं के साथ एक छह सदस्यों की अनौपचारिक कमेटी बनी है, जो सीट बंटवारे पर विचार करेगी। कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, तृणमूल की ममता बनर्जी, एनसीपी के शरद पवार, जदयू के नीतीश कुमार, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव इसमें शामिल हैं। अगर इन छह बड़े नेता खुले दिल से और ईमानदारी से भाजपा के खिलाफ लड़ने की रणनीति बनाते हैं तो सीट बंटवारा आसान हो जाएगा। इसके अलावा कांग्रेस ने पांच सदस्यों की अपनी एक कमेटी बनाई है, जिसमें अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद और मोहन प्रकाश है। यह कमेटी भी गठबंधन के बारे में बात करेगी।