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चार राज्यों में सीट समझौता पांच दिन में

रणनीति

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेता सीट बंटवारे की तैयारी में लगे हैं। हालांकि दिल्ली में हुई 19 दिसंबर की बैठक में जो डेडलाइन तय गई थी वह पार हो गई है। 19 दिसंबर की बैठक के बाद दो तरह की खबरें आईं थीं। एक खबर के मुताबिक 31 दिसंबर तक सीट बंटवारा करना था और दूसरी खबर के मुताबिक तीन हफ्ते में सीट बंटवारे का फैसला किया जाना था। अगर तीन हफ्ते वाली डेडलाइन को भी मानें तो वह भी अगले दो-तीन दिन में खत्म होने वाली है लेकिन अभी तक सीट बंटवारे की बात शुरू नहीं हुई है। कांग्रेस की पांच सदस्यों की नेशनल एलायंस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दी है और खड़गे नौ जनवरी से इसके हिसाब से बाकी घटक दलों से बात करेंगे। यानी तीन हफ्ते की समय सीमा समाप्त होने के बाद बातचीत शुरू होगी।

जानकार सूत्रों के मुताबिक उसके बाद पांच दिन में चार सबसे उलझे हुए राज्यों में सीट बंटवारा तय होगा। ये चार राज्य हैं- महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने मामला उलझा दिया है। दोनों की पार्टी टूट गई है और ज्यादातर विधायक व सांसद दूसरे खेमे में चले गए हैं। इसके बावजूद दोनों ज्यादा सीटों की मांग नहीं छोड़ रहे हैं। खास कर उद्धव ठाकरे। बताया जा रहा है कि उद्धव की पार्टी 19 सीटों पर लड़ने के लिए अड़ी है। इसके अलावा एक सीट उसको अपने सहयोगी प्रकाश अंबेडकर के लिए भी चाहिए। बताया जा रहा है कि उद्धव और पवार की ओर से राज्य की 48 में से 44 सीटों का फैसला कर लिया गया है। इनमें से उद्धव 19, कांग्रेस 13, शरद पवार 10, प्रकाश अंबेडकर एक और राजू शेट्टी एक सीट पर लड़ेंगे। बची हुई चार सीटों पर फैसला होना है। हालांकि कांग्रेस इतने कम सीटों पर कैसे राजी होगी यह देखने वाली बात होगी।

इसी तरह बिहार में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने सीट का बंटवारा कर लिया है। उनके हिसाब से राजद और जदयू 17-17 सीटों पर लड़ेंगे और कांग्रेस को चार व लेफ्ट को दो सीटें मिलेंगी। दूसरी ओर कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि छह से कम सीट नहीं चाहिए। अगर लालू  प्रसाद और नीतीश 16-16 सीट पर लड़ें तो समझौता आसान होगा लेकिन नीतीश का कहना है कि वे पिछली बार भाजपा के साथ 17 सीट लड़े थे तो उससे कम नहीं लड़ेंगे। उधर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी लेफ्ट से तालमेल नहीं करेंगी और कांग्रेस को दो सीट देने की बात कर रही हैं। इस पर भी कांग्रेस नाराज है।

झारखंड में पिछली बार बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का कांग्रेस और जेएमएम से तालमेल था और तब कांग्रेस सात सीटों पर लड़ी थी। उस समय जेएमएम चार, जेवीएम दो और राजद एक सीट पर लड़े थे। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस बार भी कांग्रेस को सात सीट पर लड़ने के लिए कह रहे हैं, जबकि कांग्रेस नौ सीटों की मांग कर रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आठ-पांच और एक सीट के फॉर्मूले पर राजी हो सकती है। लेकिन उसे राज्यसभा की सीट गंवानी पड़ सकती है।

By NI Political Desk

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