विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ के भीतर भी एक गठबंधन है। नेताओं का एक उप समूह है, जो दबाव समूह की तरह काम कर रहा है। उसी समूह ने राहुल गांधी का नाम रुकवाने की पहली की है। हालांकि कांग्रेस की ओर से नरेंद्र मोदी के मुकाबले प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने का कोई इरादा नहीं है। फिर भी विपक्ष की कुछ पार्टियां आशंकित हैं। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद उनकी आशंका बढ़ गई है। अगर पांच में तीन राज्यों में कांग्रेस जीती होती तो शायद विपक्ष को भी आपत्ति नहीं होती। लेकिन हिंदी भाषी राज्यों में जिस तरह मोदी के नाम पर भाजपा जीती है। उसे देखते हुए विपक्ष को लग रहा है कि मोदी बनाम राहुल का मुकाबला बना तो वह घातक हो जाएगा।
तभी इस उप समूह के नेताओं ने आपस में बात की ओर गठबंधन के नेता पद को लेकर कंफ्यूजन पैदा किया। उधर कोलकाता में ममता बनर्जी ने कहा कि नेता पेश करने की जरुरत नहीं है तो दूसरी ओर मुंबई में शिव सेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपा कि गठबंधन को बताना चाहिए कि उसकी ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा कौन होगा। फिर अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की बातचीत हुई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन दिल्ली पहुंचे तो अरविंद केजरीवाल उनसे जाकर मिले। फिर जब बैठक में ममता ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव किया तो केजरीवाल ने समर्थन किया और बाकी लोग चुप रहे। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए सपा के अखिलेश यादव ने इस बारे में पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया। गठबंधन के भीतर जो उप समूह है उसमें ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव को निश्चित रूप से हैं। इसमें कुछ और नेता शामिल हो सकते हैं।