विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों की ओर से कहा जा रहा है कि सब कुछ ठीक है और तीन दिन पहले सीट बंटवारे को लेकर जो चर्चा शुरू हुई है वह सही दिशा में जा रही है। लेकिन दूसरी ओर अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है। अलग अलग राज्यों के प्रादेशिक क्षत्रप सीट बंटवारे पर बातचीत से पहले एकतरफा तरीके से उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू से लेकर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और उद्धव ठाकरे की शिव सेना सब उम्मीदवारों की घोषणा कर रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसा लग रहा है कि विपक्षी गठबंधन का संयोजक या विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं बनाए जाने से इतने नाराज हैं कि वे अपनी ही लाइन पर चल रहे हैं। वे इस बात पर अड़े हैं कि बिहार में 17 से एक भी सीट कम नहीं लेंगे। इसके साथ ही उनकी यह भी जिद है कि जो सीटें पिछली बार जीते थे उन्हें छोड़ेंगे नहीं, जबकि उनकी सहयोगी राजद को उनमें से कम से कम छह सीटें चाहिए तभी गठबंधन हो पाएगा। इस बीच नीतीश की पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश की दो में से एक सीट अरुणाचल पश्चिम से रूही तागुंग को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इसी तरह पार्टी ने बिहार की सीतामढ़ सीट से विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को उम्मीदवार बनाने की घोषणा भी जदयू ने कर दी है। इस सीट पर पिछली बार जदयू के सुनील कुमार पिंटू जीते थे, जो अब भाजपा के साथ चले गए हैं। इस सीट पर राजद का दावा है।
उधर महाराष्ट्र में शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट ने अकोला लोकसभा सीट अपनी सहयोगी वंचित बहुजन अघाड़ी को देने की घोषणा कर दी है। शिव सेना के नेता संजय राउत ने कहा है कि अकोला सीट से प्रकाश अंबेडकर चुनाव लड़ सकते हैं। सोचें, अभी तक सीट बंटवारे को लेकर प्राथमिक बात भी नहीं हुई है। इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुजरात के दौरे पर गए तो उन्होंने भरूच से उम्मीदवार घोषित कर दिया। केजरीवाल ने अपनी रैली में ऐलान किया कि उनकी पार्टी के विधायक और जेल में बंद आदिवासी नेता चैतार वसावा भरूच लोकसभा सीट से उम्मीदवार होंगे।