विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की मुंबई में होने वाली बैठक में कहा जा रहा है कि गठबंधन का लोगो और थीम सॉन्ग जारी होगा। इसके अलावा कई बड़े राजनीतिक फैसले होने हैं, जैसे समन्वय समिति का गठन होना है। समन्वयक या संयोजक चुना जाना है। सीट बंटवारे पर चर्चा होनी है और चुनाव रणनीति पर भी विचार विमर्श होना है। ये सब राजनीतिक और रणनीतिक बातें हैं, जिसके लिए बैठक होनी है। लेकिन सवाल है कि विपक्षी गठबंधन को लोगो की क्या जरूरत है? इससे पहले तो किसी गठबंधन का अलग से कोई लोगो नहीं होता था। न यूपीए का था और नए एनडीए का है। राज्यों में भी बिहार में महागठबंधन का कोई लोगो नहीं है और न महाराष्ट्र में महायुति का कोई लोगो है। पहले महा विकास अघाड़ी की सरकार थी तब भी कोई लोगो नहीं था।
तभी जब विपक्ष के कुछ नेताओं ने कहा कि मुंबई में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का लोगो जारी होगा तो यह हैरान करने वाली थी। थीम सॉन्ग ठीक है, हालांकि वह भी चुनाव के समय चुनाव के लिए जारी होना चाहिए था लेकिन इसके छोड़ दें तब भी लोगो की वजह से कंफ्यूजन पैदा होगा। सोचें, सभी पार्टियों का अपना चुनाव चिन्ह है और सबको उसी पर चुनाव लड़ना है तो फिर एक कॉमन लोगो की क्यों जरूरत होनी चाहिए? अगर सभी विपक्षी पार्टियों का विलय होता और 1977 की तरह एक साझा चुनाव चिन्ह पर सबको लड़ना होता तो अलग बात थी। लेकिन जब सभी पार्टियों को अपने अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ना है तो अलग से लोगो जारी नहीं होना चाहिए। इससे आम मतदाता के बीच भ्रम की स्थिति बनेगी और पार्टियों को नुकसान होगा। वैसे भी लोगो की जरूरत तब पड़ती है, जब रोज उसका प्रचार करके उससे किसी आयोजन की पहचान बनानी हो। विपक्षी पार्टियों की पहचान उसके नेताओं के चेहरे और उनकी पार्टियों के चुनाव चिन्ह है। इसलिए उनको लोगो बनाने से बचना चाहिए।