सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि पश्चिम बंगाल में सीपीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से तालमेल नहीं करेगी। येचुरी के इस बयान ने कांग्रेस की दुविधा बढ़ा दी है। कांग्रेस को तय करना होगा कि सीपीएम के साथ उसका तालमेल कैसे होगा। कांग्रेस को वैसे तय पता है कि केरल में उसको सीपीएम के खिलाफ लड़ना है। वहां दोनों पार्टियां आमने-सामने लड़ेंगी। उनको पता है कि अगर उन्होंने तालमेल बनाया तो भाजपा को बड़ा फायदा होगा क्योंकि विपक्ष का पूरा वोट उसके साथ चला जाएगा। इसलिए केरल की तस्वीर साफ है। लेकिन येचुरी ने पश्चिम बंगाल की तस्वीर को उलझा दिया है।
कांग्रेस को पता है कि मुस्लिम मतदाताओं का रूझान उसकी ओर बढ़ रहा है। ऐसे में अगर कांग्रेस और सीपीएम तालमेल करते हैं तो उनके उम्मीदवारों को हिंदू वोट कितना मिलेगा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन कई इलाकों में वे मुस्लिम वोट काट सकते हैं, जिसका फायदा भाजपा को होगा। राज्य में पहले ही भाजपा के पक्ष में हिंदू ध्रुवीकरण तेजी से हो रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 60 फीसदी हिंदुओं ने भाजपा को वोट किया था। अगर राज्य में मुस्लिम वोट बंटता है तो भाजपा की सीटें बढ़ सकती हैं। इसलिए कांग्रेस को बंगाल की रणनीति बहुत सोच समझ कर बनानी होगी। अगर कांग्रेस और लेफ्ट तालमेल करते हैं तो वोट कटेगा और अगर ये दोनों पार्टियां तृणमूल से तालमेल करती हैं तब हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में ज्यादा होगा। तभी इस बात की संभावना है कि लेफ्ट मोर्चा अलग लड़े व कांग्रेस और तृणमूल का तालमेल हो। भले कांग्रेस चार-पांच सीट ही लड़े।