तीन राज्यों में कांग्रेस हारी तो पंजाब और हरियाणा के तीन नेता निशाने पर आए हैं। राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, मध्य प्रदेश के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी शैलजा। इनमें से हरियाणा के दो नेता सुरजेवाला और शैलजा ज्यादा निशाने पर हैं। इसका कारण यह है कि ‘एसआरके’ शैलजा, रणदीप और किरण चौधरी की एक तिकड़ी बनी है, जिनका हरियाणा कांग्रेस के सबसे बड़े नेता भूपेंदर सिंह हुड्डा से टकराव है। तभी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हारने के बाद हरियाणा में इस पर खूब चर्चा हो रही है। हुड्डा समर्थक नेता सुरजेवाल और शैलजा पर सवाल उठा रहे हैं और दावा कर रहे हैं इन दोनों की वजह से कांग्रेस हारी है।
हरियाणा के एक जानकार नेता का कहना है कि सुरजेवाला का कद कर्नाटक की जीत के बाद बहुत बढ़ा था क्योंकि वे वहां के प्रभारी थी। तभी बीच चुनाव में जयप्रकाश अग्रवाल की जगह सुरजेवाला को मध्य प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। लेकिन उन्होंने वहां से राष्ट्रीय स्तर पर और खास कर हरियाणा में चेहरा चमकाने वाली राजनीति की, जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ। कुमारी शैलजा को लेकर हुड्डा समर्थक ज्यादा आक्रामक हैं। उनका कहना है कि शैलजा कांग्रेस को दलित वोट तो नहीं ही दिला पाईं उलटे उनकी राजनीति से कई जगह टिकट बंटवारे में गड़ब़डी हुई, जिसका नुकसान कांग्रेस को हुआ। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के साथ मिल कर उन्होंने वही किया, जो मुख्यमंत्री चाहते थे। उन्होंने दिल्ली तक सही फीडबैक नहां पहुंचाई, जिसका नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस, जहां सबसे मजबूत थी और जीतने की स्थित में थी वहां भी हार गई