पहले लग रहा था कि पहले की तरह इस बार भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव आमने सामने के होंगे। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा बनाम कांग्रे का मुकाबला होग, तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति और कांग्रेस की लड़ाई होगी और मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट का मुकाबला जोराम पीपुल्स मूवमेंट से होगा। राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई आमने सामने होती दिख रही है और ऐसा लग रहा है कि जो भी जनादेश होगा वह बहुत स्पष्ट होगा। यानी जीतने वाले को ऐसा बहुमत मिलेगा कि वे सरकार बनाने और चलाने के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव दिलचस्प हो गया है।
पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें जीत कर भारी बहुमत हासिल किया था। भाजपा सिर्फ 15 सीटों पर सिमट गई थी। इस बार भी ऐसा लग रहा था कि भाजपा लड़ाई से बाहर है क्योंकि उसके पास नेता नहीं है। लेकिन बिना नेता के ही भाजपा ने बहुत सुधार किया है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस और भाजपा के बीच अंतर लगातार कम होता जा रहा है। हालांकि अब भी कांग्रेस आगे चल रही है और उसे अपने दम पर बहुमत मिलने का अंदाजा लगाया जा रहा है लेकिन भाजपा काफी नजदीक पहुंच गई है। ऐसे में अमित जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस और बसपा-गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की भूमिका बढ़ती दिख रही है।
उधर तेलंगाना में कांग्रेस और बीआरएस की लड़ाई में भाजपा और एमआईएम की भूमिका बहुत अहम हो गई है। भाजपा जहां मजबूती से लड़ती हुई दिख रही है वहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर हो रही है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम अपने इलाके में फिर से जीतती दिख रही है। तभी ऐसा लग रहा है कि विधानसभा त्रिशंकु बन सकती है। मिजोरम में भी विधानसभा त्रिशंकु बनती दिख रही है। मिजो नेशनल फ्रंट, जोराम पीपुल्स फ्रंट और कांग्रेस के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबला हो गया है।