संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में कांग्रेस के सिर्फ 29 सांसद हैं। इनमें से तीन राज्यसभा सांसद लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। अगर ये तीनों जीत जाते हैं तो उच्च सदन से इस्तीफा दे देते हैं तो राज्यसभा में कांग्रेस के सांसदों की संख्या 26 रह जाएगी। इसका मतलब है कि अगर दोवार्षिक चुनाव में कांग्रेस राज्यसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा गंवा सकती है। ध्यान रहे कांग्रेस को 16वीं और 17वीं लोकसभा में 10 फीसदी सीटें नहीं मिलीं, जिसकी वजह से वह मुख्य विपक्षी पार्टी नहीं बन सकी। अब राज्यसभा में भी वह मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा गंवाने की कगार पर है। अगर इस साल होने वाले महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू कश्मीर (संभावित) में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो 2026 में उसे मुश्किल होगी।
बहरहाल, कांग्रेस ने इस बार मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को राज्य की राजगढ़ सीट से चुनाव में उतारा है तो राजस्थान से राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल केरल की अलपुझा सीट से लड़ रहे हैं और हरियाणा से उच्च सदन के सदस्य दीपेंद्र हुड्डा रोहतक सीट से लड़ रहे हैं। कांग्रेस के ये तीनों उम्मीदवार बहुत अच्छी स्थिति में बताए जा रहे हैं। पर कांग्रेस की मुश्किल यह है कि इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार है। सो, लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अगर ये नेता इस्तीफा देते हैं तो राज्यसभा की सीट भाजपा के खाते में चली जाएगी। अगर ऐसा होता है तो पहली बार भाजपा राज्यसभा में सौ का आंकड़ा छुएगी। अभी उसके 97 सांसद हैं।