कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इस बार केरल की वायनाड सीट से चुनाव नहीं लड़ना था। कांग्रेस के कई जानकार नेताओं ने माना है कि राहुल के वायनाड सीट से चुनाव लड़ने से भाजपा को एक खास किस्म की धारणा का प्रचार करने में मदद मिलती है। गौरतलब है कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर 30 फीसदी के करीब आबादी मुस्लिम है और बड़ी आबादी ईसाई भी। rahul gandhi wayanad seat
सो, भाजपा प्रचार करती है कि राहुल किसी हिंदू बहुल सीट से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। पिछली बार जब वे अमेठी से हारे तो भाजपा के इस प्रचार को बल मिला। दूसरे वायनाड सीट पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का समर्थन भी कांग्रेस मिलता है, जिससे भाजपा को प्रचार का और मौका मिल जाता है।
तभी कांग्रेस के नेता चाहते थे कि राहुल गांधी दक्षिण की किसी सीट से लड़ें तो ऐसी सीट चुनें, जो मुस्लिम बहुल न हो। इसके बाद कर्नाटक और तेलंगाना दोनों जगह राहुल के लिए सीट देखी गई थी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अपनी पुरानी मल्काजनगर सीट से राहुल को चुनाव लड़ाना चाहते थे। लेकिन कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने किसी तरह से राहुल को तैयार किया कि वे फिर से वायनाड सीट से ही लड़ें।
ध्यान रहे इस बार वेणुगोपाल खुद भी लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने राहुल को उम्मीदवार बनवा कर केरल में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित किया है, जहां से वे खुद आते हैं। हालांकि इस चक्कर में कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ कांग्रेस और राहुल के संबंध बिगड़ गए हैं। इस बार सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा वायनाड से प्रत्याशी हो गई हैं।
यह भी पढ़ें:
मराठा नेताओं का खुला परिवारवाद
क्या विपक्षी नेता जुटेंगे राहुल की रैली में?