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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का काम 46 सीट से नहीं चलेगा

छत्तीसगढ़ की विधानसभा 90 सीटों की है और बहुमत का आंकड़ा 46 सीट का है। लेकिन कांग्रेस का काम 46 सीट से नहीं चलेगा। कांग्रेस के लिए बहुमत का आंकड़ा 55 सीट का या उससे भी ऊपर का है। पिछली बार कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें जीती थीं और भाजपा सिर्फ 15 सीट जीत पाई थी। इसके बावजूद ढाई साल के बाद ही सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। पार्टी के बड़े नेता टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए तेवर दिखा रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस नेतृत्व ने जैसे तैसे मामला संभाला। इस साल चुनाव से ठीक पहले टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। उसके बाद कहा जा रहा है कि उनकी नाराजगी खत्म हो गई है और वे पूरी ताकत से कांग्रेस को चुनाव जिताने में लगे हैं। सबको पता है कि उनकी महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की है। भाजपा भी इस बात को समझ रही है। दूसरी ओर भाजपा को किसी हाल में छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनानी है।

तभी कांग्रेस का काम साधारण बहुमत से नहीं चलेगा। पिछले चुनाव में जिस तरह मध्य प्रदेश में कांग्रेस जैसे तैसे साधारण बहुमत तक पहुंची थी और सरकार बनाने के सवा साल बाद ही सरकार गिर गई थी उसी तरह अगर कांग्रेस को अगर छत्तीसगढ़ में साधारण बहुमत आता है तो मुश्किल होगी। मध्य प्रदेश से इतर छत्तीसगढ़ में पार्टी को सरकार बनाने में ही मुश्किल हो जाएगी। दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अति आत्मविश्वास की कहानियां हैं। बताया जा रहा है कि वे खुद नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस को पिछली बार की तरह प्रचंड बहुमत मिले क्योंकि ऐसा होता है तो पार्टी आलाकमान उनको बदल सकता है। अगर सीटें कम रहती हैं तो गारंटी होंगी कि वे मुख्यमंत्री बनेंगे। जो हो पहले चरण के मतदान के बाद छत्तीसगढ़ का चुनाव बहुत दिलचस्प हो गया है।

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