छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेता मतदान से पहले ही चुनाव जीता हुआ मान रहे थे। पहले दिन से वहां यह धारणा बनी थी कि कोई मुकाबला नहीं है। एकतरफा लड़ाई में कांग्रेस जीती हुई है। इसका कारण यह है कि भाजपा बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ते हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम पर भाजपा छत्तीसगढ़ का चुनाव लड़ रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ भाजपा का तुरुप का पत्ता भ्रष्टाचार के आरोप और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई थी। लेकिन जनता में यह मुद्दा ज्यादा चला नहीं। तभी सट्टेबाजी वाले महादेव ऐप के मालिकों से कथित तौर पर 508 करोड़ रुपए लेने के आरोप ज्यादा चर्चा में नहीं आए। भाजपा ने भी दो-तीन दिन के बाद इस मुद्दे को छोड़ दिया। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन पिछले चुनाव के बाद जिस तरह से पांच साल तक उनको बिल्कुल किनारे करके रखा गया था उस वजह से भी उनके लड़ने का माहौल नहीं बन पाया।
कांग्रेस के अति आत्मविश्वास का एक बड़ा कारण यह था कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोक लुभावन काम किए थे और सामाजिक समीकरण बना कर रखा था। उन्होंने अपनी जाति के नाम पर अन्य पिछड़ी जाति यानी ओबीसी का वोट एकजुट किया था और आरक्षण की सीमा 76 फीसदी करने का प्रस्ताव विधानसभा से पास करा कर एससी और एसटी वोट को भी बड़ा मैसेज दिया था। हालांकि उस बिल को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है लेकिन बघेल अपना काम कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने गौमूत्र और गोबर आदि की खरीद की योजना शुरू की है तो राम वन गमन पथ का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। इस तरह उन्होंने हिंदुत्व का भाजपा का मुद्दा भी अपना बना लिया है। लोक से जुड़ कर उन्होंने काका वाली अपनी छवि मजबूत की है। ऊपर से चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान ने टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बना कर पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं के बीच चल रही खींचतान को खत्म किया।
इन सब कारणों से कांग्रेस पहले दिन से अति आत्मविश्वास में थी। लेकिन फिर बिल्कुल हाशिए पर दिख रही भाजपा ने तेजी से वापसी का परसेप्शन बनाया। भाजपा नेताओं खास कर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के भाषणों का निश्चित रूप से कुछ असर हुआ। उन्होंने धर्मांतरण का मुद्दा उठाया और राज्य के इकलौते मुस्लिम विधायक के क्षेत्र में जाकर माता कौशल्या की धरती की पवित्रता की रक्षा का बयान दिया। मतदान से पहले 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर झारखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस पैमाने पर जनजातीय गौरव दिवस मनाया और आदिवासी न्याय अभियान की शुरुआत की वह भी बगल के छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को मैसेज बनाने के लिए था। भाजपा ने पहले दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरने के लिए उनकी पाटन सीट पर उनके भतीजे और दुर्ग के सांसद विजय बघेल को उतारा। विजय बघेल एक बार अपने चाचा भूपेश बघेल को चुनाव हरा चुके हैं। सो, मुख्यमंत्री के अपने क्षेत्र में घिरे होने का मैसेज बनाया। इस बीच यह खबर भी चर्चा में आई कि मुख्यमंत्री बघेल खुद ही नहीं चाहते हैं कि पार्टी पहले की तरह बड़ी जीत हासिल करे क्योंकि तब आलाकमान उनको बदल सकता है। इस धारणा की वजह से भी कांग्रेस को कुछ नुकसान हुआ। तभी मतदान आते आते छत्तीसगढ़ में मुकाबला कांटे का बना माना जा रहा है। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी कांग्रेस की बढ़त दिखी लेकिन भाजपा ज्यादा पीछे नहीं थी। भाजपा के मीडिया सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सट्टा बाजार का भाव ट्विट करके बताया कि सट्टा बाजार ने भाव पलट दिया है। अब उसने कांग्रेस को 43 से 45 में अटकाया है, जबकि भाजपा को 44 से 46 सीट दे रहा है। जाहिर है भाजपा के लिए सट्टाबाजार भी चुनावी हवा बनाने का ब्रहास्त्र हो गया है।