चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार मेयर बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को हुए चुनाव के बैलेट ही दोबारा गिने और उस समय अवैध कर दिए गए आठ वोट जोड़ कर आप के उम्मीदवार को जिता दिया। भाजपा के मेयर को पद से हटना पड़ा। यह अपने आप में बहुत बड़ा फैसला है। इससे साफ हुआ कि 36 पार्षदों की वोट में से आठ यानी 25 फीसदी वोट अवैध करके भाजपा जीती थी। इस फैसले का असर दूर तक दिखाई देगा। विपक्षी पार्टियों का हौसला बढ़ा है और भाजपा बैकफुट पर आई है। आप और कांग्रेस की पहली जीत से दोनों के बीच गठबंधन की संभावना भी मजबूत हुई है।
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लेकिन यह जीत बहुत ज्यादा देर की नहीं है। 30 जनवरी को हुए चुनाव के बाद भाजपा को जो समय मिला उसमें उसने आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों को तोड़ लिया है। तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस तरह भाजपा के पार्षदों की संख्या 17 हो गई है। तीन कम होने के बाद आम आदमी पार्टी के पार्षदों के संख्या 10 रह गई। उसमें कांग्रेस के सात जोड़ेंगे तो संख्या 17 हो जाएगी। इस तरह दोनों के नंबर्स बराबर हो गए। भाजपा के एडवांटेज यह है कि अकाली दल का एक पार्षद उसके साथ है और ऊपर से चंडीगढ़ के सांसद को वोट का अधिकार होता है। सो, भाजपा की सांसद किरण खेर का एक वोट है। यानी अब भाजपा के पास 19 वोट हैं। सो, किसी दिन अविश्वास प्रस्ताव लाकर मेयर को हटाया जा सकता है। वैसे भाजपा अभी तुरंत अविश्वास प्रस्ताव लाने की बजाय कांग्रेस और आप में विवाद होने का इंतजार भी कर सकती है। जो हो अब संख्या भाजपा के साथ है।