भारतीय जनता पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार भी उतार रही है। ध्यान रहे संसद के किसी भी सदन में भाजपा का एक भी मुस्लिम सदस्य नहीं है और न सरकार में कोई मुस्लिम मंत्री है। सोचें, दोनों सदनों में भाजपा के सांसदों की संख्या चार सौ है। लेकिन देश की करीब 15 फीसदी आबादी का एक भी प्रतिनिधि उसमें नहीं है। लोकसभा में तो पिछली बार पार्टी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दी थी।
भागलपुर लोकसभा सीट पर मामूली अंतर से चुनाव हारे शाहनवाज हुसैन को 2019 में टिकट नहीं मिली। उसके बाद राज्यसभा के भी मुस्लिम सदस्य एक एक करके रिटायर होते गए। एमजे अकबर का कार्यकाल खत्म हुआ तो उन्हें मौका नहीं मिला और इसी तरह मुख्तार अब्बास नकवी भी रिटायर हो गए।
इस बार ऐसा लग रहा है कि भाजपा मुस्लिम उम्मीदवार नहीं लड़ाने की सोच बदल रही है। भाजपा ने केरल की मल्लापुरम सीट पर मोहम्मद अब्दुल सलाम को उम्मीदवार बनाया है। वे पहले कालीकट यूनिवर्सिटी के कुलपति थे। पिछली बार यानी 2019 में भाजपा ने इस सीट पर उन्नीकृष्णन मास्टर को उम्मीदवार बनाया था। भाजपा केरल की 15 सीटों पर लड़ी थी और पांच सीट दो सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी थी।
लेकिन न तो भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था और न उसकी सहयोगियों ने। इस बार कहा जा रहा है कि भाजपा भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी और सहयोगियों को भी इसके लिए प्रोत्साहित करेगी। हो सकता है कि महाराष्ट्र में अजित पवार की पार्टी एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारे तो आंध्र प्रदेश में टीडीपी भी मुस्लिम उम्मीदवार दे। बिहार में जनता दल यू और लोजपा का मुस्लिम उम्मीदवार हो सकता है। पिछली बार लोजपा ने एक मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था, जो जीता था। हालांकि जदयू का मुस्लिम उम्मीदवार हार गया था। यह देखना सबसे दिलचस्प होगा कि शाहनवाज हुसैन को भाजपा को टिकट देती है या नहीं।