विधानसभा के उपचुनावों की घोषणा नहीं हो रही है। चुनाव आयोग को इस बारे में फैसला करना है लेकिन उसने सीटें खाली होने के करीब डेढ़ महीने बाद तक चुनावों की घोषणा नहीं की है। इसका कोई कारण समझ में नहीं आ रहा है। आखिर इसी चुनाव आयोग ने लोकसभा के नतीजे आने के साथ ही सात राज्यों की 13 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया था। तब सबको हैरानी हुई थी कि आखिर अभी तीन महीने तक चली चुनाव प्रक्रिया समाप्त हुई है तो अभी तुरंत क्यों चुनाव कराए जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल की चार सीटों पर उपचुनावों की घोषणा हुई थी और राज्य सरकार ने आयोग से इसकी शिकायत करते हुए कहा था कि उसके यहां छह और सीटें खाली हुई हैं तो सारे चुनाव एक साथ ही क्यों नहीं कराए जा रहे हैं? लेकिन आयोग ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सिर्फ चार सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें से तीन सीटें 2021 में भाजपा ने जीती थीं। इस बार सभी चार सीटों पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस जीत गई। उसके बाद चारों तरफ सन्नाटा फैल गया। सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों में से एनडीए सिर्फ दो सीट जीत सका।
भाजपा और एनडीए चुनाव हार गए यह कारण तो नहीं हो सकता है कि उपचुनावों की घोषणा नहीं की जाए? आखिर चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग को करनी है, जो कि एक संवैधानिक संस्था है! बहरहाल, भाजपा उपचुनावों को लेकर घबरा रही है। खासतौर से सात राज्यों के नतीजे आने के बाद। इसका कारण यह है कि इस बार ज्यादा सीटों पर उपचुनाव होना है और वह मिनी आम चुनाव की तरह है। जैसे उत्तर प्रदेश में 10 सीटें खाली हुई हैं। पश्चिम बंगाल में छह सीटें खाली हुई हैं। बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है क्योंकि इन चार सीटों के विधायक इस बार लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद हो गए हैं। देश भर में करीब 30 सीटों पर उपचुनाव कराने की जरुरत है।
भाजपा उपचुनाव से इसलिए घबरा रही है क्योंकि अक्टूबर में चार राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अगर उससे पहले उपचुनाव होते हैं और नतीजे मनमाफिक नहीं आते हैं तो विधानसभा चुनाव का माहौल बिगड़ेगा। अभी 13 सीटों के उपचुनाव की सफलता ने ही विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं का हौसला बढ़ा दिया है। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा चाहती है कि चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही इन सीटों पर उपचुनाव भी हो। जानकार सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग भी इस संभावना पर विचार कर रहा है। कहा जा रहा है कि अभी देश के कई हिस्सों में मानसून की बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त हुआ है। ऐसे समय में चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। हालांकि मानसून के महीने में ही सात राज्यों की 13 सीटों के चुनाव हुए हैं, जिनके नतीजे 13 जुलाई को आए। तब भी पूरे देश में बारिश और बाढ़ के हालात थे। भाजपा की घबराहट के कारण ही इस बार लग रहा है कि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव एक साथ होंगे। पहले ये तीनों चुनाव अलग अलग होते थे।