हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में कांग्रेस बुरी तरह से हारी है और इसका एक नतीजा यह होगा कि तीनों राज्यों में कांग्रेस के तमाम पुराने नेता रिटायर होंगे या रिटायर करा दिए जाएंगे। राजस्थान में अशोक गहलोत की राजनीति का पटाक्षेप हो गया है। भले उनकी कमान में कांग्रेस अच्छा लड़ी लेकिन अब उनकी राजनीति समाप्त हो गई। उनकी जगह पार्टी किसी नए नेता को आगे करेगी। हो सकता है कि जिस तरह 2018 से पहले सचिन पायलट को कमान सौंपी गई थी उसी तरह फिर से उनको कमान दी जाए। इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल की कमान पर अब संशय है। टीएस सिंहदेव की राजनीति पर तो निश्चित रूप से परदा गिर गया है।
मध्य प्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों की राजनीति पर ग्रहण लग गया है। वैसे भी कमलनाथ 77 साल के और दिग्विजय सिंह 76 साल के हैं। हालांकि कांग्रेस की राजनीति में उम्र की कोई सीमा नहीं है और 82 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष हैं। लेकिन उम्र के अलावा दूसरे कारणों से भी ये दोनों नेता हाशिए में जाएंगे। पिछले करीब 20 साल से कांग्रेस की कमान इन दो नेताओं के हाथ में है और 20 साल से कांग्रेस हार रही है। लोगों ने 2018 में पार्टी को जिताया भी तो ये दोनों नेता सत्ता न संभाल सके और न बचा सके और न लोगों में यह मैसेज बनवा सके कि लोग इनको याद करें और वापस सत्ता दें। सो, वहां भी कांग्रेस को नया नेतृत्व आगे लाना होगा।