Election commission को अब यह तमाशा बंद कर देना चाहिए। आज एक नेता के हेलीकॉप्टर और बैग की तलाशी हो रही है तो कल दूसरे नेता के बैग की तलाशी हो रही है। आज इस क्षेत्र में हेलीकॉप्टर की तलाशी हुई तो कल दूसरे क्षेत्र में होती है। इसका कोई मतलब नहीं होता है। यह समय और संसाधन की बरबादी है। कोई भी समझदार चुनाव आयुक्त या एक मिनट में इस तरह के तमाशे को बंद करा देगा। सबको पता होता है कि कोई भी नेता अपने हेलीकॉप्टर में पैसे लेकर नहीं चलता है। सब जानते हैं कि उम्मीदवार अपने हेलीकॉप्टर में ड्रग्स और शराब की बोतलें लेकर नहीं जाते हैं। लोगों को उपहार के तौर पर बांटने वाली चीजें भी बड़े नेताओं या स्टार प्रचारकों के हेलीकॉप्टर में रख कर नहीं ले जाई जाती हैं।
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तभी सवाल है कि Election commission क्या जांच करता है? उसके अधिकारी जब किसी बड़े नेता के हेलीकॉप्टर और उसके बैग की तलाशी लेते हैं तो उसमें क्या खोजते हैं? उद्धव ठाकरे ने और बाद में देवेंद्र फड़नवीस या एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने चुनाव आयोग की टीम की जांच के जो वीडियो जारी किए उसमें दिख रहा था कि अधिकारी बैग खोल कर देख रहे थे। सवाल है कि बैग में क्या खोजते हैं वे लोग? छोटे से बैग में या ब्रीफकेस में ऐसा क्या रखा हो सकता है, जिससे कोई बड़ा नेता उस क्षेत्र में चुनाव को प्रभावित कर देगा? चुनाव आयोग को भी पता होता है कि प्रचार में बांटने के लिए नकदी दूसरे तरीके से पहुंचाई जाती है। उपहार के सामान अलग तरह से पहुंचाए जाते हैं।
शराब अलग तरह से बांटी जाती है। इसके लिए सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के अपने सिस्टम होते हैं। उसी में कुछ चीजें कभी कभी पकड़ी भी जाती हैं। हर चुनाव में सैकड़ों करोड़ की नकदी और सामान, ड्रग्स आदि जब्त होते हैं और उससे कई गुना ज्यादा इन चीजों का चुनाव में इस्तेमाल होता है। लेकिन किसी बड़े नेता के हेलीकॉप्टर और बैग से आजतक कोई आपत्तिजनक चीज बरामद नहीं हुई है। किसी के बैग से पैसे या ड्रग्स या शराब नहीं मिली है, फिर क्यों यह तमाशा किया जाता है? इससे अच्छा है कि चुनाव आयोग आयकर विभाग और राज्य पुलिस के साथ मिल कर जमीनी स्तर पर निगरानी करे।
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